भोपाल: महाविद्यालय में विद्यार्थियों को रामायण, भागवत, गीता, वेद, पुराण, उपनिषद का मूल स्वरूप पढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा आयुक्त ने अपने अधीनस्थ समस्त महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में इस पाठ्यक्रम को तैयार करने और प्राचीन परंपराओं से युवाओं को अवगत कराने के उद्देश्य से कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि पूर्ववर्ती सरकार में स्कूली पाठ्यक्रम में गीता और रामायण को शामिल करने का प्रस्ताव था किंतु वह अभी तक पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाया है।
राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णयों का पालन कराने के लिये उच्च शिक्षा आयुक्त, सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों एवं सभी सरकारी कालेजों के प्राचार्यों को निर्देश जारी किये हैं कि वे विद्यार्थियों को भारतीय परम्परा से अवगत कराने हेतु प्राचीन महाग्रंथ, महाकाव्य (यथा रामायण, वेद, पुराण, उपनिषद) आदि को स्नातक स्तर पर पाठय़क्रम में शामिल करने हेतु कार्ययोजना तैयार करें।
साथ ही ये भी निर्देश दिये हैं कि जिन शासकीय विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के समीप हवाई पट्टी उपलब्ध है, उनमें देवी अहिल्या विवि इंदौर एवं उड्डयन संस्थाओं के साथ किये गये एमओयू अनुसार पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाये।
राज्य की मोहन यादव सरकार अपने मिशन में जुटी हुई है देखना यह है कि इसमें उन्हें कब तक सफलता मिलती है, कहीं शिवराज सरकार की तरह यह अभियान केवल तैयारियों की रस्मों में ही सिमट कर रह तो नहीं जाएगा।