भोपाल: मप्र की राजधानी भोपाल से सटे रायसेन नगर में ऊंचे पर्वत पर बने ऐतिहासिक किले तक जाने के लिये रोप वे बनाने का रास्ता अब साफ हो गया है। इस रोप वे को बनाने में 1.222 हैक्टेयर वन भूमि प्रभावित हो रही थी, इसलिये राज्य सरकार ने इतनी ही राजस्व भूमि रायसेन जिले के सिलवानी तहसील के वन परिक्षेत्र पूर्व सिलवानी में वनखण्ड के रुप में शामिल करा दी है तथा इस नये वन खण्ड का नाम सलैया परसौरा क्रमांक ए रखा गया है। अब एमपी टूरिज्म बोर्ड रायसेन किले तक सुगमता से पहुंचने के लिये रोप वे बना सकेगा।
उल्लेखनीय है कि रायसेन किला एक मजबूत किले के साथ हिंदू काल से अपनी स्थापना के समय से ही प्रशासन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। पंद्रहवीं शताब्दी में इस किले पर मांडू के सुल्तानों का शासन था, जिनसे यह राजपूतों के पास चला गया। वर्ष 1543 में शेरशाह सूरी ने पूरनमल से इस पर कब्ज़ा कर लिया। अकबर के समय में रायसेन मालवा के उज्जैन सूबा में एक सरकार का मुख्यालय था।
भोपाल राज्य के तीसरे नवाब फियाज मोहम्मद खान ने लगभग 1760 में इस पर कब्ज़ा किया, बाद में सम्राट आलमगीर द्वितीय ने खुद को रायसेन के फौजदार के रूप में मान्यता दी। वर्तमान में रायसेन का किला पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है लेकिन इस तक पहुंचने के लिये काफी चलना पड़ता है। इसीलिये इस तक पहुंच सुगम बनाने के लिये रोप वे बनाया जाना है।