भोपाल: मप्र में लगभग 700 हैक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। यह जानकारी वन मुख्यालय भोपाल ने राजभवन के जनजातीय प्रकोष्ठ को भेजी है। वन मुख्यालय ने साफ किया है कि यह अतिक्रमण हटाये जाने पर ही सामुदायिक वन संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकार देने पर विचार किया जायेगा।
दरअसल, राजभवन का जनजातीय प्रकोष्ठ चाहता है कि वनाधिकार कानून 2006 में उल्लेखित फारेस्ट रिसोर्सेज राईट्स यानि सामुदायिक वन संसाधन, संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकार वनवासी समुदाय को दिये जायें। इस अधिकार में वनों से लकड़ी काटकर ले जाने का अधिकार भी शामिल है।
लेकिन वनाधिकार कानून के तहत मप्र सरकार ने जंगलों में पीढिय़ों से रहने वाले वनवासियों को वन भूमि के पट्टे तो दिये हैं और साथ ही 5 लाख 92 हजार 304.674 हैक्टेयर वन भूमि पर शमशान, हाट बाजार, गोठान, धार्मिक स्थल, खेल मैदान आदि के कुल 26 हजार 347 सामुदायिक वन अधिकार भी प्रदान किये गये हैं, परन्तु वन संसाधनों पर सामुदायिक अधिकार अब तक नहीं दिये हैं, वे भी खासकर जंगलों के वृक्षों को काटने के संबंध में। हालांकि लघुवनोपज संग्रहण के 6 हजार 921 अधिकार दिये जा चुके हैं।
इधर, वनाधिकार कानून के तहत 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने की अधिसूचनायें संबंधित जिला कलेक्टरों द्वारा जारी कर दी गई है परन्तु अब इन परिवर्तित वन ग्रामों में सर्वेक्षण का कार्य एवं अभिलेखों के डिजिटाईजेशन का कार्य प्रदेश स्तर पर किया जा रहा है।