भोपाल: बालाघाट की कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे को उत्तर सामान्य बालाघाट की डीएफओ नेहा श्रीवास्तव से बालाघाट के फारेस्ट रेस्ट हाऊस में गत 16 अगस्त को दो-तीन पेटी रकम मांगने के मामले में क्लीन चिट मिल गई है। इसके बाद डीएफओ नेहा श्रीवास्तव की मुश्किलें बढ़ सकती है। विधायक मुंजारे ने जहां विधानसभा प्रमुख सचिव को विशेषाधिकार हनन की सूचना दी है। वहीं अब मानहानि का मुकदमा दायर करने पर गंभीरता से कानूनविदों से मंथन कर रहीं हैं।
जंगल महकमे में यह पहला मामला था जब किसी डीएफओ ने विधायक पर 2-3 पेटी की अड़ीबाजी का लिखित में आरोप लगाया। हालांकि डीएफओ नेहा श्रीवास्तव अपने आरोप को सीनियर महिला अधिकारियों की दो सदस्यीय समिति के समक्ष प्रूफ नहीं कर पाई। यहां तक कि नेहा श्रीवास्तव के ड्राइवर और रेस्ट हाउस कीपर के बयान भी डीएफओ के आरोप से मेल नहीं नहीं पाए गए। कमोलिका मोहन्ता कमेटी ने विधायक अनुभा मुंजारे को डीएफओ के आरोप से क्लीन चिट दे दिया। अब राज्य शासन डीएफओ के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाने और विभाग की फजीहत कराने के मामले में अनुशासनात्मक करने जा रहा है।
पहले भी अपने सीसीएफ पर झूठे आरोप लगा चुकी है
2016 बैच की महिला आईएफएस नेहा श्रीवास्तव ने जुलाई 21 में वन बल प्रमुख आरके गुप्ता को पत्र लिखकर 2001 बैच के प्रमोटी आईएफएस ऑफिसर एवं मुख्य वन संरक्षक शहडोल प्रभात कुमार वर्मा पर लैंगिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। नेहा श्रीवास्तव ने वन बल प्रमुख गुप्ता को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि सीसीएफ शहडोल वर्मा बैठकों में 'मिसेज गुप्ता' संबोधित कर नीचा दिखाने के प्रयास करते है। बकौल नेहा श्रीवास्तव, 'मिसेज गुप्ता' के संबोधन को लैंगिक प्रताड़ना बताया है।
यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि नेहा श्रीवास्तव ने अपने ही बेच के आईएफएस अधर गुप्ता से विवाह किया है। यही वजह है कि शहडोल सीसीएफ बैठकों में उन्हें 'मैडम गुप्ता' के नाम से संबोधित करते रहे हैं। डीएफओ महिला आईएफएस की आपत्ति पर तत्कालीन वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रेनू सिंह की अध्यक्षता में 2 सदस्य कमेटी गठित कर जांच सौंप दी थी इस कमेटी ने नेहा श्रीवास्तव के आरोप को बेसलेश बताया था। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि उत्तरदायित्व एवं कार्यों से बचने के लिए नेहा ने अपने सीनियर अधिकारी सीसीएफ पर अनर्गल आरोप लगाया है।
तब वर्मा भी मानहानि दायर करने का मन बनाया था
विधायक पर लगाए गए आरोप सही नहीं पाए जाने संबंधित मोहन्ता कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सेवानिवृत्ति आईएफएस पीके वर्मा को अपने पुराने जख्म याद आ गए। वर्मा ने बातचीत में बताया कि विभाग 2021 में ही नेहा श्रीवास्तव और उनके पति अधर गुप्ता के सख्त एक्शन ले लिया होता तो आज यह स्थिति नहीं बनती। तब मैंने भी डीएफओ के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने का मन बना लिया था। लेकिन बिरादरी के अफसरों के दबाव में अदालत नहीं गया। इससे तो साबित हो गया कि महिला डीएफओ कथित आरोप लगाने की आदी है। अब हर सीनियर अधिकारी इनके साथ काम करने में भयभीत रहेगा।
गणेश पाण्डेय