वानिकी विकास और वन्य प्राणियों के हितैषी बनकर उभरे हैं डॉक्टर यादव


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने वन मंत्रालय को अपने अधीन रखा है। वन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के साथ वन्य जीवों के संरक्षण लिए प्रभावी पहल की है..!!

वन एवं वन्यजीवियों के प्रति विशेष लगाव रखते हैं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव संभवतः मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने वन मंत्रालय को अपने अधीन रखा है। वन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के साथ वन्य जीवों के संरक्षण लिए प्रभावी पहल की है। मुख्यमंत्री के अधीन मंत्रालय होने से फॉरेस्ट अफसालों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना है। आईएफएस कैडर में प्रशासनिक कसावट की झलक दिखाई देने लगी है। 

Image

यही नहीं, कलेक्टर-एसपी भी जंगल माफिया से निपटने के लिए वन विभाग के सहयोगी की भूमिका में के साथ कंधे से दिखाई देने लगे हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि देखी जा रही है। यही वजह है कि खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, और विदिशा जैसे वन मण्डलों में अतिक्रमण माफिया के खिलाफ सतत अभियान चलाया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार अब तक 10000 हेक्टेयर के लगभग वन भूमि से अतिक्रमणकारियों को बेदखल किया जा सका है। 

Image

वन्य जीव के संरक्षण के लिए प्रभावी पहल भी शुरू की है। मसलन, नेताओं, ब्यूरोक्रेट और खनन और बिल्डर्स कारोबारियों के दबाव में 14 वर्षों से रातापानी टाइगर रिजर्व घोषित संबंधित नोटिफिकेशन जारी नहीं हो पा रहा था। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने रातापानी टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी कराया। इससे वन्य प्राणी और मानव के बीच संभावित संघर्ष को टाला गया। 

वहीं टाइगर रिजर्व बनने से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही माधव टाइगर रिजर्व की अधिसूचना भी जारी कर दी। इससे प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या नौ हो गई है, जो पूरे देश में सबसे अधिक टाइगर रिजर्व की संख्या मध्य प्रदेश में है। चीता रहवास के विकास हेतु कुनी वनमंडल का पुर्नगठन कर क्षेत्रफल में 35 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 

Image

संरक्षित क्षेत्रों से 8 ग्रामों का विस्थापन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ यादव की सटक मॉनिटरिंग की वजह से ही चीता परियोजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत गांधी सागर अभ्यारण्य, मंदसौर में चीता लाने की तैयारियां लगभग पूर्णता की ओर है। विभिन्न टाइगर रिजर्व से कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नौरादेही, सागर एवं गांधीसागर अभ्यारण्य को 5154 चीतल हस्तांरित किये गये है। साथ ही सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से अन्य राष्ट्रीय उद्यानों को 17 बारासिधा और 16 गौर का स्थानातंरण किया गया है।

टेरिटरी संघर्ष को रोकने के लिए नए अभ्यारण की घोषणा..

मध्य प्रदेश 785 बाघों के साथ देश में अव्वल है। बढ़ती टाइगरों की संख्या एक समस्या भी बनती जा रही है। टेरिटरी संघर्ष में टाइगर आपस में भिड़ रहें हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। इस संघर्ष को रोकने की दिशा में किसी भी पूर्व के मुख्यमंत्री ने कदम नहीं उठए। डॉ यादव मुख्यमंत्री बनने के साथ इस दिशा में चिंतन- मनन किया। 

वन्य प्राणी विशेषज्ञों की सलाह पर ही डॉ भीमराव अंबेडकर सेंचुरी और रानी दुर्गावती सेंचुरी की घोषणा भी कर दी। सीएम यादव ने बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व में बढ़ते बाघ को दूसरे टाइगर रिजर्व और सेंचुरियों में शिफ्ट करने के निर्देश दे दिए हैं। डॉ यादव के इस निर्णय से भविष्य में टेरिटरी को लेकर बाघों का आपसी संघर्ष भी थमेगा।

केन-बेतवा प्रोजेक्ट की शुरुआत सबसे बड़ी उपलब्धि..

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने केन बेतवा प्रोजेक्ट में वन विभाग के अड़ियल रवैया कोदर किनार करते हुए प्रोजेक्ट की शुरुआत की। केन बेतवा प्रोजेक्ट के बदले में  पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए समतल भूमि उपलब्ध कराई है जो वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए उपयोगी है। यही नहीं, जल संसाधनों में वृद्धि से पन्ना टाइगर रिजर्व जैसे क्षेत्रों में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिल सकता है। 

ऐसा इसलिए क्योंकि इस परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध और 2 सुरंगों का निर्माण भी किया जाना है। इस बांध में 2853 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित किया जाएगा। इस परियोजना अंतर्गत हाइड्रोपावर प्लांट भी लगाने की योजना है जिससे 103 मेगावाट ऊर्जा उत्पन्न होगी जो स्थानीय बिजली की कमी को दूर करेगी।

आश्रित वनवासियों के कल्याण की दिशा में भी ठोस कदम उठाए..

डॉ यादव ने वनों पर आश्रित वनवासियों पर भी पूरा फोकस रखा है। पैसा एक्ट के तहत तेंदूपत्ता संग्रहण का काम आदिवासी बाहुल्य वन ग्रामों को सौंप दिया है। पिछले सीजन में 243 ग्राम सभाओं द्वारा 22 हजार 212 मानक बोरा तैदुपल्ला का संग्रहण तथा 11.36 करोड़ रुपये का व्यापार किया था। 

इसके अलावा विभिन्न टाइगर रिजर्वर्य द्वारा पार्क की सीमा से लगे 852 बेरोजगार युवक युवतियां को ओटी मोवाईल टेक्नीशियन टू व्हीलर, मोबाईल रिपेयरिंग, हास्पिटेलिटी, हेयर सैलून एवं व्यूटीशियन, सिलाई कढ़ाई, वाहन चालन, मैसनरी, प्लम्बिंग, एसी रिपेयर, कम्प्यूटर चालन, सिक्योरिटी गार्ड, इत्यादि में प्रशिक्षण दिलवाकर स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया।

ब्यूरोक्रेट के मंसूबे पर फेरा पानी..

आमतौर पर मुख्यमंत्रियों पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वे नौकरशाही के दबाव में काम करते हैं। डॉ यादव ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने ब्यूरोक्रेट के मंसूबों पर पानी फेर दिया। साथ ही उन्हें  सख्त निर्देश दिए कि जनजातियों के विचार-मंथन के बिना कोई भी योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जाएगा। इसके दो बड़े उदाहरण सामने आए हैं। 

पहले तब आया जब जे एन कंसोटिया अपर मुख्य सचिव वन थे। लोकसभा चुनाव की बेला थी। मुख्यमंत्री डॉ यादव चुनावी गतिविधियों में व्यस्त थे। इस बीच कंसोटिया ने राजस्थानी कारोबारो की सलाह पर फॉरेस्ट में पौधारोपण और निर्माण कार्य निजी हाथों को सौंपने जा रहे थे। बैंड समितियों के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के समक्ष विरोध किया और ज्ञापन भी सौंपा। चुनाव परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री ने तत्कालीन एसीएस वन के मंसूबे पर पानी फेर दिया। 

इसी प्रकार पिछले दिनों मौजूदा अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्ण वाल मध्य प्रदेश की 40% बिगड़े वन क्षेत्र निजी उद्योगपतियों को सौंपने के एक योजना बनाई है। इस योजना का जनजाति समूहों ने विरोध किया। विरोध का स्वर मुख्य मंत्री तक पहुंचा। डॉ यादव ने एक्शन लेते हुए वर्ण वाल की योजना को ठंडा बस्ते में धकेल दिया। मुख्यमंत्री यादव ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है कि जनजातीय का हित के हित के साथ-साथ वन वन्य जीवों का संरक्षण सर्वोपरि है।

एक पेड मां के नाम अभियान.. 

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सत्ता संभालते ही एमपी में पर्यावरण को बचाने और हरियाली बढ़ाने के लिए एक पेड़ मां के नाम अभियान की शुरुआत की है। प्रदेश के हर कोने में पेड़ लगाने का अभियान जारी है। इसके अन्तर्गत अब तक लगभग 6.16 करोड़ पौधे रोपित किए गए हैं। डॉ यादव प्रदेश की हर व्यक्ति से अपील की है कि अपने मां के नाम एक पेड़ अवश्य लगाएं। इस अभियान में अकेले वन विभाग ही नहीं बल्कि सरकार का हर विभाग शामिल है। वन विभाग ने अगले बारिश के मौसम में प्रदेश में लगभग 6 करोड़ से अधिक पौधे तैयार किए हैं।