आईएफएस को अलविदा करने के 4 साल बाद एसीएस ने दिए चार्जशीट जारी करने के निर्देश


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स्टोरी हाइलाइट्स

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ईएसजेड में वाटर पार्क निर्माण का मामला..!!

भोपाल: जंगल महकमे में आजकल अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल की टाइम लिमिट (टीएल) बैठक और उसमें फारेस्ट अफसरों को दिए जा रहे निर्देशों की खूब चर्चा और कानाफूसी हो रही है। पिछले दिनों एसीएस वन के ऐसे ही निर्देश को आईएफएस अफसरों का एक बड़ा तबका बेतुका बता रहा है। 

दरअसल एसीएस वर्णवाल ने उस अधिकारी को चार्जशीट जारी करने करने के निर्देश दिए है, जिसने 2021 में ही आईएफएस को अलविदा कह दिया है। इस अधिकारी का नाम सिद्धार्थ गुप्ता है। गुप्ता 11 मार्च 2019 से 12 दिसंबर 2020 तक उप संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पदस्थ रहे। वर्तमान में गुप्ता अखिल भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 2021 बैच के अधिकारी है। 

पूर्व में सिद्धार्थ गुप्ता मप्र कैडर के 2015 बैच के आईएफएस अधिकारी थे। वर्ष 2019-20 में उनकी पदस्थापना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया के उपसंचालक के पद पर पदस्थ थे। इसी दौरान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व समेत सभी टाइगर रिजर्व के ईको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) बनाए गए थे। सिद्धार्थ गुप्ता उपसंचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया के पद पर रहते हुए धमोखर बफर क्षेत्र के समीप ग्राम महामन तहसील मानपुर कैलाश कुमार छतवानी को स्वयं की निजी भूमि पर वाटर पार्क निर्माण करने हेतु अनुमति दे दी थी। 

वॉटर पार्क बनने के बाद इस वर्ष शिकायत हुई कि यह ईको सेंसिटिव जोन में बना है, जोकि नियम विरुद्ध है। इस शिकायत को एसीएस ने गंभीरता से लेते हुए टाइम लिमिट बैठक के लिए सूचीबद्ध कर लिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ESZ (ईसेजेड) में वाटर पार्क निर्माण कैसे हुई ? इसकी हकीकत जाने बिना ही एसीएस ने टीएल बैठक में वन बल प्रमुख के साथ उपस्थित पीसीसीएफ को निर्देश दिया की तत्कालीन उप संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को चार्जशीट जारी करने के निर्देश दिए। 

दिलचस्प पहलू यह है कि किसी भी पीसीसीएफ ने यह बताने की कोशिश नहीं की कि तत्कालीन उपसंचालक सिद्धार्थ गुप्ता ने वाटर पार्क की अनुमति तत्कालीन एपीसीसीएफ भू-प्रबंध सुनील अग्रवाल के एनओसी दिए जाने के लिखित निर्देश पर दिए थे। अब बैठक में उपस्थित वही पीसीसीएफ अपने एसीएस के फरमान पर कानाफूसी कर रहें हैं। 

वाटर पार्क निर्माण में दोषी कौन - उप संचालक या एपीसीसीएफ

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर बफर क्षेत्र के समीप ग्राम महामन तहसील मानपुर कैलाश कुमार छतवानी को स्वयं की निजी भूमि पर वाटर पार्क निर्माण किए जाने के मामले में एसीएस वर्णवाल ने तत्कालीन उप संचालक सिद्धार्थ गुप्ता को आरोप पत्र जारी करने का फरमान तो सुना दिया किन्तु हकीकत यह है कि तत्कालीन एपीसीसीएफ भू प्रबंध सुनील अग्रवाल ने उपसंचालक को पत्र लिखकर कहा कि इस वाटर पार्क के निर्माण से वन्यप्राणियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और ना ही किसी प्रकार के वृक्षों का दोहन किया जावेगा, जिससे कि पर्यावरण में भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ESZ की अधिसूचना के अनुसार यह कार्य प्रतिषिद्ध क्रियाकलापों में नहीं आता है। 

वाटर पार्क के निर्माण के लिए यदि पर्यावरण स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है तो आवेदक को स्वयं की निजी भूमि पर वाटर पार्क निर्माण कार्य करने की अनापत्ति दी जा सकती है। इस संबंध में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारी को पत्र लिखकर यह पुष्टि की जा सकती है कि इस कार्य के लिए पर्यावर्षीय स्वीकृति की आवकश्यता है अथवा नहीं। तदनुसार ही अग्रिम कार्यवाही किये जाना सुनिश्चित करें।