भोपाल: मप्र में फर्जी (कूटरचित) जाति प्रमाण पत्र का खेल जमकर चल रहा है। ऐसा ही एक मामला पीएससी की परीक्षा देकर डिप्टी कलेक्टर बने अधिकारी का भी सामने आया है। इंदौर निवासी अक्षय गुप्ता ने 2013 में नाम बदलकर अक्षय सिंह मरकाम किया, 2015 में पीएससी की परीक्षा पास की और 2017 में जाति प्रमाण पत्र बनवाकर डिप्टी कलेक्टर के पद पर सरकारी नौकरी पा ली। वर्तमान में मरकाम झाबुआ में पदस्थ हैं।
इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, एसीएस जीएडी और प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा से जनजातीय अधिकार संगठन नागपुर ने की है। शिकायत में कहा गया कि इंदौर निवासी अक्षय गुप्ता ने मप्र राजपत्रित में 2 अगस्त 2013 में अपना नाम बदलकर अक्षय सिंह मरकाम कराया और 2015 में एमपी पीएससी की परीक्षा देकर डिप्टी कलेक्टर बन गए। पीएससी द्वारा 19 अप्रैल 2017 को जारी की गई चयन सूची में अक्षय सिंह मरकाम का नाम 15वें स्थान पर है, जबकि इसके पहले अंकिता त्रिपाठी, त्रिलोकचंद गुर्जर, विशा माधवनी, पराग जैन, भारती देवी मिश्रा, अनुराग जैन, अनुभा जैन, राहुल गुप्ता, फरीन खान, वीरेंद्र सिंह, आरती यादव, अदिति यादव, संघमित्रा बौद्ध आदि के बाद अक्षय सिंह मरकाम का नाम है। यह फर्जीवाड़ा कर डिप्टी कलेक्टर बने हैं।
खुद को भड़-भुंजिया समुदाय का बताया
आदिवासी अधिकार संगठन के राजेंद्र दादाजी मारस्कोल्हे ने शिकायत में लिखा-अक्षय गुप्ता यह गैर आदिवासी समुदाय से आते हैं और इन्होंने कूटरचित जाति प्रमाण पत्र के जरिए स्वयं को भड़-भुंजिया समुदाय का बताकर अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण पत्र बनवा लिया। इसी प्रमाण पत्र के अधार पर इन्होंने एमपी पीएससी की परीक्षा दी और राज्य सेवा में चयनित हो गए। शिकायत में तत्काल मामले की जांच कर दोषी डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
राऊ एसडीएम ने बनाया जाति प्रमाण पत्र
कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राऊ इंदौर द्वारा 10 मार्च 2017 को जारी किए गए प्रमाण पत्र में अक्षय गुप्ता पुत्र नागेश्वर गुप्ता नगर इंदौर तहसील राऊ इंदौर भुंजिया जनजाति का सदस्य मानते हुए जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जबकि एमपी पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा का मुख्य रिजल्ट 19 अप्रैल 2017 को जारी किया गया। यानि जाति प्रमाण पत्र बनवाने के बाद ही इन्हें जनजाति वर्ग का प्रमाण पत्र मिला और इसके जरिए डिप्टी कलेक्टर बन गए। अब धडल्ले से सरकारी नौकरी कर रहे हैं। जीएडी कार्मिक ने 1 अप्रैल 2024 की स्थिति में जारी प्रावधिक पदक्रम सूची में अक्षय सिंह मरकाम का नंबर 352वें स्थान पर है और जन्म तारीख 30 जून 1994 बताई गई है। वर्तमान में पदस्थापना संयुक्त कलेक्टर झाबुआ दिखाई गई है। इस संबंध में अक्षय सिंह से संपर्क करना चाहा तो उनके मोबाइल पर बात नहीं हो सकी।
इनके भी मामले 2020 से लंबित
चिकित्सा अधिकारी सुनील कुमार सहरिया, सहायक वन संरक्षक द्वारकादास पनिका, जीएडी में अवर सचिव सुनील मंडावी, वंदना ताबेले निरीक्षक, उप संचालक गोविंद अंदेवार, कनिष्ठ यंत्री रेणुका बारापात्रे, नगर एवं ग्राम निवेश में संयुक्त संचालक शैलेष कोहद, वनपाल जयप्रकाश बाथम, सामाजिक न्याय विभाग में उप संचालक मनोज बाथम, सहायक उप निरीक्षक रूपसिंह, वनपाल संतोष बाथम, प्रधान आरक्षक बसंत कुमार, जीडीएस देवीशंकर बाथम, पीडब्ल्यूडी में मुख्य अभियंता सुरेश चंद्र वर्मा, जल संसाधन बरगी में पदस्थ कार्यपालन यंत्री अजय कुमार सूरे, जिला पंचायत सदस्य एकता ठाकुर, फायर ऑफिसर गणेश प्रसाद पनरिया, अपर सचिव हरिसिंह मीना, वनरक्षक कुमारी कृष्णा मांझी, वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक हेमलता डोगर आदि के मामलों की जांच लंबित है।
दोषी होने पर भी नहीं की विभाग ने कार्रवाई
अनुसूचित जनजाति छानचीन समिति द्वारा अमान्य किए गए जाति प्रमाण पत्रों के बाद भी लोग सरकारी पदों पर जमे हुए हैं और विभागों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इनमें गृह विभाग में नन्हेसिंह पाल, मचल सिंह पाल, फूलसिंह पाल, पीडी मांझी भोपाल, रमेश कुमार पाल, शांताराम पाल, प्रकाश पाल, देवीसिंह पाल, वीरेंद्र कुमार पाल, शोभाराम पाल, लखनलाल पाल, तुलजा प्रसाद पाल, डॉ. प्रवीण कुंभारे इंदौर, ग्राम पंचायत सचिव प्रवीण मुंडा, रामेश्वर प्रसाद, दूरसंचार परिमंडल भोपाल में पदस्थ राकेश कुमार गोंडिया, रेडियो निरीक्षक नर्मदा प्रसाद तंवर, पुलिस विभाग में अधिकारी रहे रघुवीर सिंह मीना का जाति प्रमाण पत्र 16 नवंबर 2015 को निरस्त कर दिया गया और बाद में 4 अगस्त 2022 को यथावत मान्य कर लिया गया। रोजगार अधिकारी अमित सिंह गोंड, जीएसटी विभाग में पदस्थ सुनौल कुमार, कृषि विभाग में पदस्थ कुंजीलाल कोष्टा, हाथकरघा में दशरथ लाल कोष्टा, डाक विभाग में बजरंगलाल बाथम, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित कुमार केवट आदि पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकार ने कहा-एसपी, कलेक्टर से रिपोर्ट बुलाई
इंदौर के सिटी प्लानर नीरज लिखार के मामले में विभाग के प्रमुख सचिव अनुसार, नीरज लिखार के जाति प्रमाण पत्र की जांच प्रारंभ की जा चुकी है। वर्तमान समय में जांच के लिए प्रकरण एसपी एवं कलेक्टर को भेजा गया है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात छानबीन समिति के समक्ष प्रस्ताव निर्णय लेने रखा जाएगा।