भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर, राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार और कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बाघ आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं निरीक्षण किया। उन्होंने वन विभाग के तीन प्रकाशनों "विलेज रिलोकेशन: सतपुड़ा मॉडल", "पेंच टाइगर: बिहेवियर एंड एक्टिविटीज" और "कान्हा की कहानियां" का भी विमोचन किया।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल में बाघों और इंसानों ने अपना समय और क्षेत्र बांट लिया है। हम दिन में घूमते हैं और बाघ रात में घूमता है। ऐसा किसी अन्य राजधानी में नहीं है। उन्होंने कहा कि बाघ में साहस और बहादुरी जैसे गुण होते हैं, इसलिए वह सही मायने में जंगल का राजा होता है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने लोगों से बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने में सहयोग की अपील की।
इंटरनेशनल टाइगर डे की शुभकामनाएं देते हुए सीएम मोहन ने कहा कि 'हम सभी जानते हैं कि मध्य प्रदेश एक 'टाइगर स्टेट' है यानी यह भारत के अधिकांश बाघों का घर है। इस उपलब्धि के साथ ही मध्य प्रदेश ने ईको-टूरिज्म की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये हैं। इसलिए, बाघ संरक्षण को बढ़ावा देना, उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना और पारिस्थितिक संतुलन की दिशा में हमेशा काम करना हमारी जिम्मेदारी है।
सीएम ने कहा कि 'टाइगर का नाम रोमांच और आनंद देता है। हम अधिक भाग्यशाली हैं। यूं तो कई राजधानियां हैं लेकिन राजधानी भोपाल उन सब पर हावी है। यहां दिन में इंसान घूमते हैं, रात में बाघ घूमते हैं। ऐसी कोई राजधानी नहीं है जहां बाघ इस तरह घूमते हों। हम सभी अपने-अपने क्षेत्र में आनंद लेते हैं।
यह ईश्वर की कृपा है कि हम इस बदलते समय में इसका अनुभव कर रहे हैं। ये एक सुखद संयोग है और अच्छी बात भी। यहां प्रोजेक्ट टाइगर की स्थापना 1973 में की गई थी। उन्होंने कहा कि बाघों के पक्ष में बहुत कुछ कहा जाना बाकी है। संख्या में भी खास हैं।
बाघों के राज्य में भारत की कुल बाघ आबादी का 20 प्रतिशत से अधिक यहीं पाए जाते हैं। बाघ गणना 2022 के अनुसार, मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं। हमें संख्या बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। हमारे राज्य में 55 से 60 करोड़ की आय पर्यटन से होती है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि लोग भले ही कहते हैं कि शेर जंगल का राजा होता है, लेकिन वह दिखने में सिर्फ विशाल होता है। उन्होंने कहा, 'बाघ से बात करने का मजा ही अलग है। इनका स्वभाव अलग-अलग होता है।
लोग शेर को जंगल का राजा कहते हैं लेकिन यह बाघ के साथ अन्याय है। वह कमाने-खाने में आलसी है। यह स्वयं नहीं कमाता। शेर के लिए शिकार कोई और करता है। जो अपना भोजन स्वयं नहीं कमाता वह राजा कैसे बन सकता है? हमारे अंदर साहस और बहादुरी होनी चाहिए और ये टाइगर ने दिखाया है। इसमें पुरुषार्थ और पराक्रम है। इसलिए मुझे लगता है कि जंगल के राजा की उपाधि बाघ के नाम पर होनी चाहिए।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश का बाघ एक नया कीर्तिमान है। भोपाल के टाइगर्स और भी आगे निकल गए हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बाघ और तेंदुओं के साथ-साथ हम अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, जिसे वैश्विक बाघ दिवस भी कहा जाता है, हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाना और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना है। बाघ पृथ्वी पर सबसे अद्भुत और शक्तिशाली प्राणियों में से एक है।