भोपाल: मप्र में वर्तमान वित्तीय वर्ष में मनरेगा के बजट से जिला स्तर पर कृषि आधारित कार्यों पर न्यूनतम 60 प्रतिशत व्यय एवं मिशन वाटर कन्जरवेशन (जलसंरक्षण) वाली जनपद पंचायतों में प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रबंधन पर न्यूनतम 65 प्रतिशत व्यय करना अनिवार्य होगा तथा इन सभी कार्यों में श्रम एवं सामग्री का अनुपात 60:40 होगा। उक्त ताजा निर्देश राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को जारी किये हैं।
निर्देश में बताया गया है कि मनरेगा परिषद द्वारा वार्षिक कार्य योजना की तैयारी के लिये प्लानर साफ्टवेर विकसित किया गया है तथा यह नवाचार करने वाला मप्र पहला राज्य है। राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत की इस साफ्टवेयर में वर्तमान वित्त वर्ष की कार्य योजना तैयार की गई है जिसे प्लानर नरेगा पोर्टल पर देखा जा सकता है।
निर्देश में बताया गया है कि पूर्व में मनरेगा बजट से कुल 266 कार्यों पर ही व्यय किया जा सकता था जिनमें जिनमें 58 कार्य जल संरक्षण हेतु प्राकृतिक जल स्रोत प्रबंधन के थे जबकि 150 कार्य कृषि कार्यों के और शेष 58 कार्य ग्रामीण अधोसंरचना विकास के थे। लेकिन इस साल कुल 348 कार्यों पर व्यय किया जा सकेगा जिनमें से 182 कार्य प्राकृतिक जल स्रोत प्रबंधन के होंगे जबकि 166 कार्य कृषि एवं उससे संबंधित कार्यों के होंगे। इस साल ग्रामीण क्षेत्र में बने शासकीय एवं पंचायत भवनों में रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग करने का भी नया प्रावधान जोड़ा गया है।