भोपाल: जंगल महकमे में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट तक में लगभग 20 हजार से अधिक मामले लंबित है। वन विभाग अब अदालतों में लंबित इन प्रकरणों के निराकरण के लिए लीगल सेल गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
लीगल सेल गठित करने के संकेत वन बल प्रमुख वीएन अम्बाड़े ने दिए है। एक अनौपचारिक बातचीत में अम्बाड़े ने बताया कि इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल से चर्चा भी हो गई है। अम्बाड़े ने बातचीत में बताया कि लीगल सेल पीसीसीएफ उत्पादन के अधीन रहेगा। वन भवन में लीगल सेल का अपना अलग कक्ष होगा। सेल के प्रशासनिक स्ट्रक्चर के बारे में चर्चा करते हुए वन बल प्रमुख ने बताया कि पीसीसीएफ मुख्यालय पर एक विधि सलाहकार रहेगा। यह पद पहले से ही स्वीकृत है पर अभी तक इसे भरने की पहल नहीं की गई। विधि सलाहकार विधि विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लिया जाएगा।
वन बल प्रमुख अम्बाड़े ने बताया कि सर्किल स्तर पर एडीपीओ को पदस्थ किया जाएगा। वन मंडलों में भी शासकीय अधिवक्ताओं की सेवाएं ली जाएगी। उन्होंने बताया कि यदि विधि विभाग से प्रतिनियुक्ति पर विधि अधिकारी नहीं मिलते हैं तब आउट सौर्स करके पदों को भरने का विकल्प रखा जाएगा।
लीगल सेल की आवश्यकता क्यों पड़ रही है
दरअसल वन विभाग में लगभग 20 हजार से अधिक मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित है। इनमें कैडेर अलॉटमेंट में गड़बड़ी, प्रमोशन, सिलेक्शन ग्रेड, वेतन विसंगतिया, नियमितीकरण और वन अपराधों से जुड़े मामले शामिल हैं। प्रायः वन अपराधों में भी देखने में आता है कि विभाग के ओआईसी बनाए गए अधिकारियों द्वारा अदालतों में साक्ष्य और तथ्य सही ढंग से नहीं रखे जाने पर न केवल आपराधियों को आसानी जमानत मिल जाती है बल्कि वे बरी हो जा रहें हैं। इन अदालती प्रकरणों में से कुछ मामले ऐसे भी है, जिसमें अपर मुख्य सचिव वन और वन बल प्रमुख और अन्य सीनियर अफसरों को भी पार्टी बनाया गया है।
ऐसे ही एक मामले में तत्कालीन वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव को हाई कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ी थी। ऐसे ही एक मामला बालाघाट से जुड़ा है। इसमें कोलकत्ता की कल्पतरु संस्था ने एक करोड़ 20 हजार के भुगतान को लेकर कोलकत्ता हाई कोर्ट में पिटीशन लगाई। इसमें आजकल चर्चित डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को ओआईसी बनाया गया था। इस प्रकरण में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव विभाग का पक्ष रखने कोलकत्ता हाई कोर्ट में एक भी पेशी पर नहीं पहुंची।
परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय कोलकत्ता ने डीएफओ और सीएफ कार्यालय बालाघाट को सील कर दिया। करीब दो महीने से यह कार्यालय अब तक सील है। इस कुर्की आदेश के खिलाफ अब सीएफ बालाघाट गौरव चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के लिए सोमवार को ही विधि विभाग से अनुमति ले ली है। पिछले महीने एक आरा मशीन संचालक ने एसीएस अशोक वर्णवाल और पीसीसीएफ मनोज अग्रवाल को नामजद पार्टी बनाया है।