अधिवक्ता पीसी पालीवाल ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित प्रधान खंडपीठ की न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई के दौरान एक टिप्पणी की। इस पर न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ ने टिप्पणी को न्यायालय की अवमानना करार देते हुए मामले को कार्यवाही के लिए मुख्य न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत के पास भेज दिया।
अधिवक्ता पालीवाल ने कहै, कि 'इस अदालत में पिछले चार घंटे से यह ड्रामा चल रहा है, मैं बैठकर देख रहा हूं।' उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दूसरी जगह जाते हैं और कहते हैं कि एक नया न्यायाधीश नियुक्त करें। जजों की हालत तो देखिए, दिल्ली में क्या हुआ, यह भी देख लीजिए। यहां लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और हमें परेशान किया जा रहा है। मैं आज शाम को सीएम मोहन यादव से बात करने जाऊंगा। यह केस 20 बार दायर किया जा चुका है, बड़ी मुश्किल से आज मेरी बारी आई। मैं यहां अपना मामला नहीं उठाना चाहता, मेरा मामला किसी अन्य पीठ को भेज दीजिए।
वकील की इस टिप्पणी के बाद ही मामले की सुनवाई भी स्थगित कर दी गई क्योंकि वकील की भाषा असंतोषजनक, अनुचित और अपमानजनक पाई गई। दरअसल, छिंदवाड़ा के राजहंस बागड़े व अन्य द्वारा दायर आपराधिक मामले में अपील की सुनवाई चल रही थी।
यह मामला पंढुर्ना में हुए हमले की घटना से संबंधित है। जब काफी देर तक सुनवाई का नंबर नहीं आया तो अधिवक्ता ने भरी अदालत में टिप्पणी की। अधिवक्ता पालीवाल ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि उन्होंने लगभग 20 बार संपर्क किया और अनुरोध किया कि मामले को किसी अन्य पीठ को स्थानांतरित कर दिया जाए क्योंकि वह मौजूदा पीठ के समक्ष बहस नहीं करना चाहते थे। अदालत ने इस टिप्पणी को गंभीरता से लिया।
पांढुर्ना में हुए हमले की घटना के संबंध में उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई थी। इस मामले में पिछले आदेश के विरुद्ध आपराधिक पुनरीक्षण अपील दायर की गई थी। इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ के समक्ष चल रही थी। सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता के वकील ने आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया, जिसके बाद सुनवाई स्थगित करने और मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने का निर्णय लिया गया।