डीएफओ और वन संरक्षक की एपीएआर कलेक्टर कमिश्नर नहीं लिख सकते


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स्टोरी हाइलाइट्स

आईएफएस केंद्रीय संगठन ने सीएस को लिखा पत्र..!!

भोपाल: आईएफएस केंद्रीय संगठन ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों का एपीएआर (APAR) अखिल भारतीय सेवा नियम 1970 के तहत जारी कार्यकारी निर्देशों द्वारा शासित होता है, जो अखिल भारतीय सेवा नियम, 2007 के लिए प्रासंगिक हैं। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिया गया था कि जिले में कार्यरत आईएफएस संवर्ग के डीएफओ और वन संरक्षक की एपीएआर कलेक्टर और संभागायुक्त नहीं लिख सकते।

आईएफएस एसोसिएशन सेंट्रल यूनिट दिल्ली ने मुख्य सचिव से आग्रह किया है 29 जून, 2024 के आदेश की जांच की जाए और उचित रूप से संशोधित किया जाए, क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का घोर उल्लंघन है। सीएस को संबोधित पत्र में कहा है कि राष्ट्र के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एवं संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। भारतीय वन सेवा, एक अखिल भारतीय सेवा, देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक है जिसका उद्देश्य वनों और वन्यजीवों का वैज्ञानिक प्रबंधन, सुरक्षा और संरक्षण करना है। 

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मुख्य सचिव का ध्यान आकर्षित करते हुए आईएफएस एसोसिएशन सेंट्रल यूनिट दिल्ली का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 22. सितम्बर 2000 को पारित आदेश वन विभाग के भीतर काम करने वाले वन अधिकारियों पर लागू होता है और विभाग के बाहर काम करने वाले वन अधिकारियों पर लागू नहीं होता है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि वन अधिकारी सचिवालय या अन्य विभाग में कार्यरत है जहां उसका तत्काल वरिष्ठ अधिकारी गैर-वन अधिकारी है, तो उसका एपीएआर उस वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखा जाना चाहिए। माननीय शीर्ष न्यायालय का यह आदेश अन्य पर भी लागू नहीं होता है।

आईएफएस के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पारित यह आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। यह प्रशासनिक आदेश देश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संरक्षण के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, जो भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों का प्रमुख दायित्व है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की भावना के विपरीत यह विवादित आदेश क्षेत्र में कार्यरत आईएफएस अधिकारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

यह जानकर हैरानी होती है कि एक अधिकारी का मूल्यांकन दो अलग-अलग विभागों (यानी वन और राजस्व) के दो अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है, जो अधिकारी के करियर की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यह दुखद है कि मप्र शासन के आदेश में कहा गया है कि वन संरक्षक एवं मुख्य संरक्षक जैसे वरिष्ठ अधिकारी जिले में तैनात वनों का मूल्यांकन जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।