पटना में अस्पताल में घुसकर हत्या, CCTV फुटेज है खौफनाक !


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स्टोरी हाइलाइट्स

राजेंद्र केसरी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बक्सर के कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की पटना के एक अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गई..!

राजेंद्र केसरी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बक्सर के कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की पटना के एक अस्पताल में हत्या कर दी गई। राजधानी पटना के पारस अस्पताल में गुरुवार को कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की गोली मार दी गई। बक्सर के औद्योगिक थाना क्षेत्र के सोनबरसा गाँव निवासी मंटू मिश्रा का बेटा चंदन हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।

चंदन पैरोल पर बाहर था और उसका इलाज चल रहा था। उसे 2011 में राजेंद्र केसरी हत्याकांड में दोषी ठहराया गया था। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

उसके खिलाफ कई संगीन मामले दर्ज थे, जिनमें बक्सर जिला मुख्यालय के अमला टोली स्थित मुख्य सड़क पर 14 साल पहले हुआ राजेंद्र केसरी हत्याकांड सबसे चर्चित था।

21 अगस्त 2011 को भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की बक्सर जिला मुख्यालय के मुख्य मार्ग पर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजेंद्र अपनी दुकान का शटर खोल रहे थे, तभी बक्सर जिले के अपराधियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं।

पटना के पारस अस्पताल में घुसकर हत्या करने वाले अपराधियों के सीसीटीवी फुटेज में 5 अपराधी दिखाई दिए।

इस मामले में राजेंद्र के परिजनों ने बक्सर निवासी चंदन मिश्रा, ओंकारनाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह, सुरेंद्र मिश्रा उर्फ छोटू मिश्रा, निलंबित पुलिसकर्मी दीनबंधु सिंह व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। यह घटना चंदन और शेरू के आपराधिक जीवन की पहली बड़ी घटना थी।

शेरू भी बक्सर औद्योगिक थाना क्षेत्र के दुलालपुर गाँव का रहने वाला है। चंदन और शेरू के गाँव एक-दूसरे से काफी सटे हुए हैं। दोनों ने रंगदारी के लिए बक्सर जिले के एक प्रसिद्ध उद्योगपति की हत्या कर दी थी। उनका इरादा इस घटना को खूब प्रचारित करके व्यापारियों में भय फैलाना था। कुछ हद तक ऐसा हुआ भी।

हालाँकि, पुलिस ने तत्परता दिखाई और कुछ ही दिनों में दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इस मामले में त्वरित जाँच की और मामले की त्वरित सुनवाई की। 3 अक्टूबर, 2013 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेंद्र तिवारी ने चंदन मिश्रा, दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

इससे पहले 29 सितंबर, 2012 को चंदन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 386 (जबरन वसूली), 467, 468, 471 (जालसाजी) और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया गया था।

दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को धारा 302/120बी और अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। सजा सुनाए जाने की तारीख 8 अक्टूबर 2012 तय की गई थी, लेकिन अभियुक्तों के वकील ने उच्च न्यायालय में अपील की, जिसके कारण सजा पर रोक लगा दी गई। बाद में, उच्च न्यायालय से पुनः अनुमति मिलने पर, पुनः सुनवाई के बाद दोषियों को सजा सुनाई गई।

इस मामले में 13 गैर-सरकारी गवाहों, तीन चिकित्सा अधिकारियों, दो न्यायिक मजिस्ट्रेटों और दो पुलिस अधिकारियों ने अभियोजन पक्ष के पक्ष में बयान दिए।

अभियोजन पक्ष ने इस हत्या को 'दुर्लभतम' श्रेणी में रखा था और मृत्युदंड की मांग की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने चंदन, दीनबंधु और छोटू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अन्य अभियुक्तों के मामले की सुनवाई किशोर न्याय परिषद में अलग से हुई।

इस मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य अभियुक्त शेरू सिंह ने बक्सर न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक सिपाही को गोली मार दी और भाग गया, लेकिन बाद में आरा पुलिस ने उसे पकड़ लिया। उसकी सुनवाई अलग से हुई।

तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप मल्लिक ने राजेंद्र केसरी हत्याकांड में शेरू को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। शेरू ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। 12 फरवरी 2020 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की पीठ ने सजा पर रोक लगाते हुए मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश दिया था।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शेरू को दोषी करार देते हुए तीन अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। हत्या के लिए आजीवन कारावास, रंगदारी के लिए 7 साल और आर्म्स एक्ट के तहत 10 साल की सजा। ये सजाएँ साथ-साथ चलनी थीं। शेरू फिलहाल अपनी सजा काट रहा है।