रामनामी जनजाति भगवान श्री राम के भक्त हैं जो अपने पूरे शरीर पर राम का नाम गुदवाते हैं। छत्तीसगढ़ के राम नामी सम्प्रदाय के आदिवासियों भगवान श्री राम की भक्ति उनकी आत्मा और शरीर के रोम-रोम में बसती है। रामनामी जनजातियाँ स्वयं को कट्टर रामपंथी मानती हैं। रामनामी संप्रदाय के आदिवासियों को 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण नहीं मिला है।
अब इस बात को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी पीएम मोदी और विश्व हिंदू परिषद पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में रामनामी संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लेते हैं। इनसे बड़ा राम भक्त कौन हो सकता है। क्या इन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद ने आमंत्रित किया था?
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर कहा कि 'परसूराम जी को अनुसूचित जाति के होने के कारण 1890 में उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। दुखी होकर उन्होनें अपने कपाल और पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लिया। वहीं से रामनामी संप्रदाय स्थापित हुआ। आज भी छत्तीसगढ़ में रामनामी संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लेते हैं। इनसे बड़ा राम भक्त कौन हो सकता है। क्या इन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद ने आमंत्रित किया था?'
एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय ने भी अपने X हैंडल पर पोस्ट शेयर करके लिखा है।
यह छत्तीसगढ़ के राम नामी सम्प्रदाय के आदिवासी है ...... इन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है ..... कायदे से इन्हें अनिल मिश्रा की जगह मुख्य यजमान बनाया जाना था.. आदिवासी रामनामी संप्रदाय ने मंदिर में प्रवेश न मिलने पर पूरे शरीर पर राम नाम का गुदना गुदवा लिया था।
जैसे कि हर भक्त का अपनी भक्ति को परिभाषित करने का एक विशेष तरीका होता है। भगवान श्री राम के भक्तों की बात करें तो उनके भक्तों का अंदाज हमेशा की तरह अनोखा है।
इसी क्रम में रामनामी आदिवासी अपने शरीर के रोम-रोम में भगवान श्री राम का नाम गुदवाते हैं, यानी आम बोलचाल की भाषा में कहें तो शरीर पर राम का नाम गुदवाते हैं। आजकल यह उनकी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा बन गया है।
रामनामी संप्रदाय के लोग छत्तीसगढ़ और झारखंड में पाए जाते हैं। लेकिन इनकी अधिक जनसंख्या छत्तीसगढ़ के चार जिलों में पाई जाती है। छत्तीसगढ़ में कई जातियों ने रामनामी संप्रदाय को अपना लिया है। उदाहरण के लिए, चौहान समुदाय जिसमें चंद्राकर, साहू, सारथी, यादव और वैश्य समुदाय शामिल हैं, उनके शरीर पर राम का नाम लिखा होता है।