सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नवजोत सिंह सिद्धू ने दी पहली प्रतिक्रिया, फ़िलहाल पटियाला में मौजूद


स्टोरी हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में एक साल की सजा सुनाई है. कोर्ट के फ़ैसले के बाद सिद्धू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. लेकिन अब सवाल यह है कि, रोड रेज मामला आखिर क्या है? क्यों इसके पीछे सिद्धू का चुनावी करियर दांव पर लग गया था? जानिए पूरी कहानी..!

साल 1988 के रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सिद्धू ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। इस बयान के बाद अब सिद्धू या तो गिरफ्तार होंगे या फिर सरेंडर करेंगे। फिलहाल सिद्धू पटियाला में मौजूद हैं। वह महंगाई के मुद्दे पर विरोध जताने के लिए हाथी पर बैठे थे। इसके बाद उन्होंने बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।

 

जानिए पूरा मामला- 

रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा सुनाई है। रोड रेज मामला 1988 का है। सिद्धू को इससे पहले इस मामले में राहत मिली थी लेकिन रोड रेज में मारे गए शख्स के परिवार ने रिव्यू पिटीशन दायर कर पुनः सुनवाई की मांग की थी।

कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई कर सिद्धू को एक साल जेल की सजा सुनाई है। आपको बता दे कि 33 साल पहले सिद्धू के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 के तहत केस दर्ज किया गया था। इसमें अधिकतम एक वर्ष की सजा का प्रावधान है। मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस अब सिद्धू को हिरासत में लेगी।

रोड रेज मामला क्या है?

27 दिसंबर 1988 की शाम को सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट पहुंचे थे। यह जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है। सिद्धू उस समय क्रिकेटर थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था। बाजार में कार पार्किंग को लेकर उनका 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से विवाद हो गया था।

धीरे-धीरे बात मारपीट में बदल गई। सिद्धू ने गुरनाम सिंह का घुटना तोड़ दिया। इसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। लेकिन सिद्धू और उसके दोस्त के खिलाफ कोतवाली थाने में उस दिन हत्या का मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद मामला सत्र न्यायालय में गया। 1999 में सत्र न्यायालय ने इस मामले को खारिज कर दिया था।

लेकिन फ़िर 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ इस मामले में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इन सबके बीच सिद्धू राजनीति में आ गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर अमृतसर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

लंबे समय बाद इस मामले ने फ़िर करवट की और उसके बाद हाई कोर्ट का फैसला दिसंबर 2006 में आया। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी करार देते हुए 3 साल जेल की सजा सुनाई थी। उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इस बीच सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था।

इस्तीफ़े के बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उस समय सिद्धू की तरफ़ से दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा था। एक लंबी बहस से बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। कोर्ट के फ़ैसले के बाद सिद्धू निर्दोष साबित हुए और 2007 में उन्होंने से अमृतसर से चुनाव जीता।