एसीएस की चाहेती फर्म ईवाई को दो करोड़ से अधिक पेमेंट की तैयारी


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स्टोरी हाइलाइट्स

पूर्व एमडी ठाकुर ने दबाव के बाद भी नहीं किया था भुगतान..!!

भोपाल: लघु वनोपज संघ एसीएस की चाहेती फर्म 'ई-वाई' (Ernst & Young LLP) सवा करोड़ पेमेंट करने जा रहा है, जिसने अनुबंध में किए गए कमिटमेंट पर काम नहीं किया। लघु वनोपज संघ के पूर्व एमडी विभाष ठाकुर ने अनुबंध के मुताबिक काम नहीं करने पर दो करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान रोक दिया था। ठाकुर के हटते ही भुगतान की फाइल दौड़ने लगी है। दिलचस्प तथ्य यह है कि ई-वाई संस्था ने संघ को एक पत्र लिख कर भुगतान की राशि में से 20 लाख कम करने की सहमति दी है। 

लघु वनोपज संघ और ई-वाई के बीच 16 अगस्त 2022 को व्यवसाय प्रबंधन इकाई (बीएमयू) की स्थापना के लिए अनुबंध' हुआ। सूत्रों ने बताया कि यह अनुबंध तत्कालीन प्रमुख सचिव वन और वर्तमान अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल के विशेष अनुरोध पर तत्कालीन प्रबंध संचालक लघु वनोपज संघ के बीच हुआ।

अनुबंध के मुताबिक ईवाई टीम को फेडरेशन मुख्यालय को आईटी सहायता प्रदान करना आवश्यक था। इसके मुताबिक एक नई एकीकृत आईटी उपयोगिता (एमआईएस पोर्टल) के डिज़ाइन, विकास और कार्यान्वयन पर काम करना था। साथ ही विभिन्न एमआईएस सुविधाओं के डिज़ाइन और कार्यान्वयन के साथ-साथ डेटा संग्रह टेम्पलेट्स, सुविधाओं के सत्यापन आदि करना था। 

इसके अलावा एमएफपी पार्क के सेल को बढ़ाना, वन धन केंद्र और प्राथमिक वन उपज समितियों का अध्ययन कर उसे अपग्रेड करना और उसके सिस्टम को सुधारने का काम प्रमुख था। यह अनुबंध 2 साल के लिए किया गया था। इस संबंध के मुताबिक लगभग 45 लाख रुपए हर तिमाही लघु वनोपज संघ को ई-वाई संस्था को भुगतान का था। 

यहां यह भी उल्लेख करना तर्कसंगत है कि यह अनुबंध तब हुआ, जब संघ अपने सामर्थ्य से एमएफपी पार्क 40 करोड़ तक बिजनेस सीमा को छू चुका था और कई अंतरराष्ट्रीय वन मेले सफलतापूर्वक संचालित कर चुका था। इसीलिए ही सीनियर अधिकारी इस अनुबंध को निहितार्थ को जोड़कर देख रहें हैं। 

सेवानिवृत्ति साफ-सुथरी छवि के आईएफएस एवंलघु वनोपज संघ में एमडी रहे अधिकारी का कहना है कि संघ के एमडी दो से ढाई लाख का सैलरी पाता है और उसके बाद भी उसे ऐसी संस्थाओं से कंसल्टेंसी लेनी पड़े तो फिर उसकी योग्यता,  कमिटमेंट और एफिशिएंसी पर सवाल उठता है।

अब संस्था ने 20 लाख कम करने लिखा पत्र

20 जून 25 को संघ को पत्र लिखकर यह स्वीकार किया है कि बीएमयू (ई वाई का एक विंग) ने अपने कार्यकाल के दौरान, विभिन्न एमआईएस सुविधाओं के डिज़ाइन और कार्यान्वयन के साथ-साथ डेटा संग्रह टेम्पलेट्स, सुविधाओं के सत्यापन आदि को अंतिम रूप देने में आईटी टीम का समर्थन किया, हालांकि एसओडब्ल्यू में सूचीबद्ध इस आवश्यकता पर कार्रवाई नहीं की जा सकी क्योंकि एक अन्य टीम पहले से ही इस पर काम कर रही थी। चूंकि कार्यक्षेत्र का यह हिस्सा बीएमयू टीम द्वारा पूरा नहीं किया जा सका, इसलिए हम फेडरेशन के साथ स्वेच्छा से 20 लाख रुपये (बीस लाख रुपये) की राशि कम करने पर सहमत हैं। 

इनका कहना:-

हां, काम नहीं करने पर मैंने पेमेंट रोका था। इस मामले में नए एमडी से पूछें। 

*विभाष ठाकुर, पूर्व एमडी एवं पीसीसीएफ संरक्षण

* मैं संस्था को बुलाकर बात करूंगी। जो उन्होंने काम किया होगा, उसका तो भुगतान करना होगा। 

* समीता राजौरा, एमडी लघु वनोपज संघ