सीएम हेल्पलाइन के अधिकारियों की बढ़ी मुश्किलें, 3.39 लाख शिकायतों पर विचार करेंगे CM मोहन


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स्टोरी हाइलाइट्स

अधिकारी लोगों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते, जिसके कारण भोपाल में सीएम हेल्पलाइन में लंबित शिक़ायतों की संख्या 3.39 लाख हो गई है..!!

लोगों की शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का जरिया 'सीएम हेल्पलाइन' अब अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बन गई है। सामने आया है, कि अधिकारी लोगों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते, जिसके कारण भोपाल में सीएम हेल्पलाइन में लंबित शिक़ायतों की संख्या 3.39 लाख हो गई है।

अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 28 अक्टूबर को स्वयं सीएम हेल्पलाइन में प्राप्त शिकायतों की समीक्षा करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है, कि अधिकारी शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, जिससे शिकायतें बढ़ती जा रही थीं। कई विभागों की शिकायतें लंबित हैं, जो समाधान का इंतजार कर रही हैं। सीएमन मोहन शिकायतकर्ताओं से भी बात करेंगे। जिससे अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है।

यह जानकारी मिलते ही अधिकारियों के होश उड़ गए। संभागों और जिलों में 100 दिन से अधिक समय से लंबित शिकायतें बढ़कर तीन लाख 39 हजार 727 हो गई हैं। अब मुख्यमंत्री 28 अक्टूबर को ऑनलाइन समाधान कार्यक्रम में फरियादियों से बात करने जा रहे हैं। इसके लिए लोक सेवा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह ने सभी विभाग प्रमुखों और जिला कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र लिखा है।

आपको बता दें कि सबसे ज्यादा शिकायतें महिला एवं बाल विकास विभाग की हैं। पीएम मातृ वंदना योजना की 64 हजार 600, स्वास्थ्य विभाग की जन सुरक्षा एवं श्रमिक मातृ सहायता योजना में राशि न मिलने की 60 हजार 406 शिकायतें लंबित हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पीएम ग्रामीण आवास योजना के तहत राशि नहीं मिलने की 15 हजार 870 शिकायतें समाधान का इंतजार कर रही हैं।

जांच में देरी और लापरवाही, समय पर केस कोर्ट में पेश नहीं करना, किसी पार्टी के दबाव में उचित कार्रवाई नहीं करना जैसी 13 हजार 345 शिकायतें गृह विभाग में लंबित हैं। श्रम विभाग के अंतर्गत असंगठित शहरी एवं ग्रामीण श्रमिक संघों की संबल योजना का लाभ नहीं मिलने की 12 हजार 626 शिकायतें मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्ज करायी गयी हैं। वहीं, 12 हजार 43 शिकायतें राजस्व विभाग के नामांतरण-बंटवारे संबंधी प्रकरणों का निराकरण नहीं होने को लेकर की गई हैं।

बिजली विभाग के पास बिजली कटौती और वोल्टेज संबंधी 10,976 शिकायतें हैं। अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति न मिलने, छात्रावासों में आवास, भोजन, साफ-सफाई आदि की कमी, प्रवेश न देने तथा अतिक्रमण संबंधी आठ हजार 471 शिकायतें लंबित हैं।

पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सात हजार 175 शिकायतों का निस्तारण नहीं हो सका है। खाद्य विभाग के पास नए राशन कार्ड और पात्रता पर्ची जारी न होने की 5312 शिकायतें हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में एकीकृत छात्रवृत्ति योजना के तहत कक्षा 1 से 12वीं तक छात्रवृत्ति नहीं मिलने की चार हजार 435 शिकायतें की गई हैं। जनजातीय कार्य विभाग में आवास सहायता योजना की राशि नहीं मिलने की 543 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में लंबित हैं।

आपको बता दें कि अकेले भोपाल जिले में 21 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। अकेले नगर पालिका के खिलाफ 5 हजार शिकायतें हैं। ऐसे में अधिकारी अब अपना पूरा ध्यान शिकायतों के निस्तारण पर केंद्रित कर रहे हैं। शिकायतों के निराकरण के लिए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अधिकारियों की बैठक ली। मंगलवार के बाद बुधवार को भी अधिकारियों की बैठक हुई। 

मुख्यमंत्री किसी भी शिकायत पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। इसके चलते भोपाल जिले में 100 दिन पुरानी शिकायतों के निराकरण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि शिकायतों को अनावश्यक रूप से लंबित न रखा जाये।

अधिकारियों ने 26 अक्टूबर तक आधी शिकायतों का निस्तारण 10 दिन के भीतर करने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों का कहना है कि जब सीएम के खिलाफ लंबित शिकायतें सामने आती हैं तो भोपाल में स्थिति बेहतर नजर आती है। वर्तमान में भोपाल प्रदेश में 46वें स्थान पर है।