मध्य प्रदेश की राजधानी के ऐशबाग इलाके में बना रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। करीब एक दशक के लंबे इंतजार के बाद 18 करोड़ रुपये की लागत से यह फ्लाईओवर बनकर तैयार हुआ है। इस पुल से स्थानीय लोगों को ट्रैफिक जाम और रेलवे क्रॉसिंग पर घंटों इंतजार से राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसके डिजाइन में मौजूद खतरनाक 90 डिग्री के मोड़ ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
इस पुल पर दौड़ने वाले वाहनों को करीब 88 से 90 डिग्री के कोण पर मुड़ना होगा। स्ट्रक्चरल इंजीनियरों के मुताबिक यह डिजाइन बिल्कुल ऐसा है कि दो तराजू सीधे रखे जाते हैं। इस कोण पर वाहन मोड़ने से वाहनों के दीवार से टकराने या सामने से आ रहे वाहन से टकराने का बड़ा खतरा हो सकता है।
ट्रैफिक विशेषज्ञों की मानें तो जगह की कमी के कारण कोण कम रखा जाता है जिससे वाहनों की गति को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होगा। केवल साइन बोर्ड लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि पुल पर गति कम करने के लिए विशेष व्यवस्था भी करनी होगी।
पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता आरए मोरे ने मार्ग निर्माण करते समय सुपर एलिवेशन तकनीक लागू करने के निर्देश दिए। इस तकनीक के तहत सड़क के बाहरी किनारे को ऊंचा रखा जाता है, ताकि वाहन नियंत्रित होकर मोड़ से गुजर सकें। इससे पहले रेलवे ने भी इस 90 डिग्री मोड़ पर आपत्ति जताई थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने कम जगह का हवाला देते हुए इसे बनाने का निर्णय लिया।
ओवरब्रिज के 90 डिग्री के मोड़ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। यूजर्स ने लिखा कि यह इंजीनियरिंग का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि इंजीनियरिंग की गुणवत्ता से ज्यादा अधिकारियों की जेबें भरी जा रही हैं। एक अन्य यूजर ने लिखा कि अब मौत 90 डिग्री के कोण से आएगी।
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता वी.डी. वर्मा ने बताया कि चूंकि मेट्रो स्टेशन नजदीक है और पुल के पास जमीन न होने के कारण कोई दूसरा विकल्प नहीं है, इसलिए कोई दूसरा विकल्प नहीं था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पुल पर अभी सिर्फ छोटे वाहनों को ही चलने दिया जाएगा। विभाग का दावा है कि इसे भारतीय सड़क कांग्रेस के सभी मानदंडों के अनुसार सुरक्षित तरीके से बनाया गया है।
मामला सुर्खियों में आने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की टीम ने मौके का निरीक्षण किया है और जल्द ही तकनीकी रिपोर्ट सौंपेगी। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
निर्माण शुरू होने से पहले सरकार ने कहा था कि ओवरब्रिज चालू होने के बाद ऐशबाग, महामाई बाग, पुष्पा नगर और स्टेशन क्षेत्र के लोगों को राहत मिलेगी। रेलवे फाटक बंद होने के कारण लंबा इंतजार करना पड़ा। अनुमान है कि इस पुल से रोजाना करीब तीन लाख लोगों को लाभ मिलेगा। अधिकारियों ने बताया कि 18 करोड़ रुपये की लागत से बना यह ओवरब्रिज 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा है।