जंगल महकमे में भर्राशाही, आईएफएस में इंडक्शन के 9 महीने बाद भी प्रभारी डीएफओ


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स्टोरी हाइलाइट्स

राज्य शासन ने जारी नहीं किया डीएफओ पद पर पोस्टिंग..!!

भोपाल: पिछले कुछ वर्षों से जंगल महकमे में भर्राशाही राज कायम है। इसका एक नमूना यह है कि राज्य वन सेवा से आईएफएस बने 2022 बैच के अफसर आज भी प्रभारी डीएफओ की हैसियत से काम कर रहें हैं। जबकि इन अधिकारियों का आईएफएस होने का इंडक्शन 15 जनवरी 25 को ही पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जारी कर दिया था। 

पीसीसीएफ प्रशासन -1 विवेक जैन से लेकर मंत्रालय में बैठे एसीएस समेत अन्य शीर्ष अधिकारियों को 9 महीने बाद भी तकनीकी त्रुटि सुधारने की याद नहीं आई। जबकि पीसीसीएफ प्रशासन रह चुके आरके यादव का कहना है कि आईएफएस में इंडक्शन होने के बाद राज्य शासन को डीएफओ पद के लिए संशोधित आदेश जारी किया जाना था पर अभी तक नहीं किया गया। 

अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल ने 27 दिसम्बर 24 को एक आदेश जारी 11 वन मंडलों में राज्य वन सेवा के उन अधिकारियों को बतौर प्रभारी डीएफओ की हैसियत से पदस्थ किया, जो आईएफएस की दहलीज पर खड़े थे। 

दिसम्बर 24 को एसीएस वर्णवाल के हस्ताक्षर से जारी आदेश के अनुसार हेमलता शाह को प्रभारी वन मंडलाधिकारी शाजापुर, आशीष बंसोड़ को प्रभारी डीएफओ बड़वानी, विद्याभूषण सिंह को प्रभारी बुरहानपुर, गौरव कुमार मिश्रा को प्रभारी डीएफओ दक्षिण सिवनी, तरुणा वर्मा प्रभारी डीएफओ उत्तर शहडोल, हेमंत यादव प्रभारी डीएफओ विदिशा, प्रीति अहिरवार प्रभारी डीएफओ सीधी, राजाराम परमार प्रभारी टीकमगढ़, करण सिंह रंधा प्रभारी डीएफओ श्योपुर और लोकेश निरापुरे को प्रभारी डीएफओ रीवा के पद पर पदस्थ किया गया था। 

इस आदेश के 18 दिन बाद ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने 15 जनवरी 25 को सभी प्रभारी डीएफओ को आईएफएस के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया। हास्यास्पद स्थिति यह है कि इंडेक्सन होने के 9 महीने बाद भी राज्य वन सेवा अधिकारी की हैसियत से प्रभारी डीएफओ पदस्थ हुए थे आज तक पदस्थ हैं। जबकि उनके आदेश में संशोधन होना आवश्यक है। 

ट्रांसफर और पोस्टिंग में मनमानी..

लंबे समय से वन विभाग में स्थानांतरण और प्राइम पोस्टिंग को लेकर मनमानी चल रही है। मैंनेजमेंट और जुगाड़ के आधार पर ही प्राइम पदों पर पोस्टिंग हो रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इंदौर सर्किल रहा है। सीसीएफ स्तर के अधिकारी पदम् प्रिया के होते हुए भी इंदौर सर्किल में सीएफ स्तर के अधिकारी की पोस्टिंग कर दी गई। इतना ही नहीं, जिनकी पदस्थापना हुई है, उनके लिए तीन महीने तक इंदौर सर्किल सीसएफ पद पर प्रभार का खेल चलता रहा। बाद में रसूखदार वन संरक्षक को पदस्थ कर दिया गया। विभाग में चर्चा है कि उन पर एसीएस की विशेष कृपा है। 

एक तरफ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रहे हैं तो दूसरी तरफ मंत्रालय में पदस्थ वन विभाग के शीर्ष अधिकारी इंदौर सर्किल में 2001 बैच की आईएफएस अफसर को इसलिए इंदौर सर्किल में पोस्टिंग नहीं होने दी, क्योंकि वह महिला है। वैसे भी आईएफएस के प्रशासनिक कैडर में इंदौर सर्किल का पद सीसीएफ स्तर के अधिकारी के लिए ही आरक्षित है। 

यह भी उल्लेखनीय है कि जनवरी में 2001 बैच की महिला अधिकारी पदम् प्रिया सीसीएफ से एपीसीसीएफ के पद पर प्रमोट होंगी। इस बैच की वह इकलौती आईएफएस अधिकारी हैं, जिन्हें सर्किल में बतौर सीसीएफ कार्य करने का अवसर नहीं दिया गया। 

इसी प्रकार 2009 बैच की महिला आईएफएस किरण बिसेन को विभागीय जांच में क्लीनचिट मिलने के बाद अभी तक सीएफ के पद पर प्रमोशन का बंद लिफाफा नहीं खोला गया। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि कुछ डीएफओ मुख्यालय में बड़े बाबू की भूमिका में काम कर रहें हैं जबकि फील्ड में डीएफओ के पद खाली पड़े है। विभाग में इन दिनों सर्किल में सीएफ और वन मंडलों में डीएफओ के पद पर प्रभार का खेल चल रहा है।