SeoniMadhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सर्पदंश घोटाला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। 'अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा' यह कहावत मध्य प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों ने सच कर दिखाई है। यहां सांप के काटने से एक व्यक्ति को 30 बार 'मृत' बताकर करोड़ों का मुआवजा हड़प लिया गया। यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि 2019 से 2022 के बीच चला एक बड़ा घोटाला है, जिसकी शुरुआत कमलनाथ सरकार में हुई और शिवराज सरकार तक जारी रहा।
इस घोटाले में 47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु दावा दर्ज कर शासन की राशि का गबन किया गया। इस गबन की कुल राशि 11 करोड़ 26 लाख रुपये बताई जा रही है। 3
रमेश: वह शख्स जो 30 बार मरा और जीवित हुआ
मध्य प्रदेश सरकार सांप के काटने से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये का मुआवजा देती है। सिवनी जिले में रमेश नाम के एक व्यक्ति को सरकारी दस्तावेजों में 30 बार मृत घोषित किया गया, और हर बार मौत का कारण सांप का काटना बताया गया। कल्पना कीजिए, एक ही व्यक्ति बार-बार मरता है और फिर जीवित हो जाता है, सिर्फ इसलिए ताकि भ्रष्ट अधिकारी 1 करोड़ 20 लाख रुपये का गबन कर सकें।
रामकुमार भी नहीं बचे
रमेश ही नहीं, रामकुमार नाम के एक और शख्स को भी सरकारी दस्तावेजों में 19 बार मरा हुआ दिखाकर 8 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपये गबन किए गए। यह आंकड़ा अपने आप में इस बात का सबूत है कि भ्रष्टाचार किस कदर अपनी जड़ें जमा चुका है।
कैसे हुआ यह घोटाला?
यह घोटाला साल 2019 में शुरू हुआ और 2022 तक बेरोकटोक चलता रहा। इसका मतलब है कि यह भ्रष्टाचार कमलनाथ सरकार के दौरान शुरू हुआ और शिवराज सरकार के कार्यकाल में भी जारी रहा। जाहिर है, इसमें निचले स्तर के अधिकारियों से लेकर ऊपर बैठे लोगों तक की मिलीभगत रही होगी। इन अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए, जिनमें रमेश और रामकुमार को बार-बार मृत दिखाया गया और मुआवजे की राशि अपनी जेब में डाल ली।
जवाबदेही किसकी?
यह घटना मध्य प्रदेश में प्रशासनिक खामियों और भ्रष्टाचार की पोल खोलती है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस बड़े घोटाले की गहन जांच कराएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी? आम जनता के पैसों का इस तरह दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों पर लगाम कब लगेगी? यह सिर्फ एक रमेश या रामकुमार की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन हजारों लोगों के साथ हुए धोखे का एक उदाहरण है, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
क्या आपको भी लगता है कि ऐसे घोटालों को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है?