भोपाल। राज्य के आयुक्त कोष एवं लेखा के अंतर्गत बनाये कार्यरत स्टेट फायनेन्शियल इंटेलीजेंस सेल और केंद्र सरकार के महालेखाकार कार्यालय के जांच कर्मियों को अब विभागीय जांच, पुलिस एवं कोर्ट केस में गवाह के रुप में नहीं बुलाया जा सकेगा। इसके लिये वित्त विभाग के एसीएस मनीष रस्तोगी ने सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश जारी किये हैं।
निर्देश में कहा गया है कि फायनेन्शियल इंटेलीजेंस सेल द्वारा आईएफएमआईएस पोर्टल पर विभिन्न डीडीओ के द्वारा किये गये भुगतानों के डाटा का विश्लेषण किया जाता है तथा आंतरिक लेखा परीक्षण दलों द्वारा विभिन्न कार्यालयों में आंतरिक लेखा परीक्षण किया जाता है।
इनके जांच प्रतिवेदन में गबन पाये जाने पर संबंधित विभाग द्वारा उक्त जांच कर्मियों विभागीय जांच, पुलिस व कोर्ट केस में गवाह बनाया जा रहा है। इसी प्रकार, महालेखाकार भी अनेक आडिट आपत्तियों करता है लेकिन इस आधार पर महालेखाकार के अधिकारियों को न्यायालय में पक्ष प्रस्तुत करने के लिये नहीं बुलाया जाये।
फायनेन्शियल इंटेलीजेंस सेल, आंतरिक लेखा परीक्षण दल एवं महालेखाकार के जांच दलों के व्यक्तियों की आपत्तियों पर संबंधित अपचारी सरकारी सेवक से वसूली की कार्यवाही की जाये न कि इन्हें ही विभागीय जांच और पुलिस व कोर्ट केस में गवाह बनाया जाये। इन तीनों की जांच रिपोर्ट यदि तथ्यों से परे हो या उचित प्रतीन न हो तो आयुक्त कोष एवं लेखा को लिखा जाये।