अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिकता ओलंपियाड से नई पीढ़ी को मिलेगा संस्कारों का अमृत : श्री भाई जी


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स्टोरी हाइलाइट्स

जीवन का वास्तविक संतुलन तभी संभव है जब ज्ञान के साथ संस्कार और संस्कृति भी जुड़ें। इसी सोच के तहत इंटरनेशनल स्पिरिचुअलिटी ओलंपियाड की संरचना की गई है..!!

भोपाल: अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिकता ओलंपियाड परिषद (आईएसओ काउंसिल) के संस्थापक अध्यक्ष, साईं शरणागत, जिन्हें ‘श्री भाई जी’ के नाम से भी जाना जाता है, ने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली बच्चों को केवल भौतिक उपलब्धियों की ओर अग्रसर कर रही है, जबकि जीवन का वास्तविक संतुलन तभी संभव है जब ज्ञान के साथ संस्कार और संस्कृति भी जुड़ें। इसी सोच के तहत इंटरनेशनल स्पिरिचुअलिटी ओलंपियाड की संरचना की गई है।

भोपाल प्रवास के दौरान धर्म पुराण से विशेष बातचीत में श्री भाई जी ने कहा कि कक्षा 1 से लेकर पीएचडी स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए इस ओलंपियाड में भारत की सनातन संस्कृति, धर्मग्रंथों और लोकहित से प्रेरित सार्वभौमिक संदेशों को शामिल किया गया है। यह परीक्षा नई पीढ़ी को जड़ों से जोड़ने और उनमें आंतरिक दिव्यता के विकास का माध्यम बनेगी।

उन्होंने बताया कि ओलंपियाड का पंजीकरण आगामी 1 सितंबर 2025 से प्रारंभ होकर 28 फरवरी 2026 तक चलेगा। इसके बाद पहला चरण 31 मई 2026 को आयोजित होगा। विभिन्न चरणों से गुजरने के बाद, भव्य पुरस्कार वितरण समारोह 5 और 6 अगस्त 2026 को होगा। इस दौरान सफल परीक्षार्थियों को 10-10 लाख रुपये के पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।

भाई जी ने कहा कि आज मोबाइल, लैपटॉप और गैजेट्स के युग में जब बच्चे वेद, पुराण, उपनिषद, रामचरितमानस और श्रीमद्भागवत गीता जैसे ग्रंथों का अध्ययन करेंगे तो उनमें न केवल बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास होगा बल्कि समाज में व्याप्त अनेक विद्रूपताएं भी दूर होंगी।

उन्होंने यह भी बताया कि इस आयोजन के समापन समारोह में भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति की संभावना है, क्योंकि भारत सरकार भी चाहती है कि नई पीढ़ी देश की सभ्यता और संस्कृति से गहराई से परिचित हो। “यह ओलंपियाड केवल परीक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का माध्यम है,”।

अपनी आध्यात्मिक यात्रा का उल्लेख करते हुए श्री भाई जी ने बताया कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की पुण्यभूमि में हुआ। बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और पारिवारिक संस्कारों ने उनका पोषण किया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और लगभग दो दशक तक कॉर्पोरेट जगत, जिसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी शामिल हैं, में कार्य किया। लेकिन अंततः उन्होंने जीवन के उच्चतर मूल्यों से जुड़कर युवाओं को संस्कारों की दिशा देने का संकल्प लिया।

उन्होंने कहा कि आज भौतिकवाद की चकाचौंध ने युवाओं को भ्रमित किया है। “केवल आध्यात्मिक समाधान ही उन्हें सच्चा आनंद और शांति दे सकता है,” उन्होंने कहा। इसी उद्देश्य से वे देशभर में यात्रा कर रहे हैं और आध्यात्मिक विभूतियों, विचारकों, शिक्षाविदों, राजनेताओं, समाजसेवियों और उद्यमियों से संवाद कर रहे हैं। उनका सपना है कि यह आंदोलन वैश्विक स्तर पर नई पीढ़ी के लिए एक आध्यात्मिक पुनर्जागरण लेकर आए।

अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिकता ओलंपियाड (ISO) केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को जड़ों से जोड़ने, संस्कारों का अमृत पिलाने और राष्ट्र के लिए सशक्त चिंतन विकसित करने का अद्वितीय प्रयास है।