गैर वैज्ञानिक जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पीथमपुर का अधूरा जलाने का प्रयास


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स्टोरी हाइलाइट्स

भोपाल कचरे के ट्रायल तत्काल रोके जाए..!!

भोपाल: अत्यधिक जहरीले कचरे के पीथमपुर में अधूरे  विफल अवैज्ञानिक पर्यावरण के लिए खतरनाक ट्रायल  किए जा रहे है। उक्त अधूरे ट्रायल में भोपाल जहरीले कचरे में उच्च मात्रा में मौजूद मर्करी को बिना उचित निष्पादन के लैंडफिल में डाल कर अपराधिक रूप से पीथमपुर के पर्यावरण में अति विषाक्त मर्करी घोली जा रही है।

ज्ञात हो कि मर्करी खतरनाक जहर और न्यूरोटॉक्सिन है जो गंभीर बीमारियां पैदा करती है। उक्त गैर वैज्ञानिक अधूरे ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करके विफल ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट को मीडिया में सामान्य बताया जा रहा है।

पहला अधूरा विफल ट्रायल कर जन सामान्य को बिना जानकारी दिए सीसीपीबी एवं एमपीसीसीबी द्वारा पीथमपुर में दूसरा ट्रायल आरंभ करना अवैज्ञानिक अनैतिक एवं हाईकोर्ट को गुमराह करना है। जनता के ही टैक्स का पैसा है जिसे जनता को जाहर पिलाने के लिए पूंजीपतियों पर लुटाया जा रहा है।

आज उपरोक्त मुद्दे पर गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कार्णिक प्रधान एवं सीटू के राज्य सचिव भट्टाचार्य ने एमपीपीसीबी के हेड ऑफिस में एमपीपीसीबी के मेंबर सेक्रेटरी ए ए मिश्रा से पीथमपुर के पहले ट्रायल की सम्पूर्ण रिपोर्ट की मांग करते हुए अधूरे विफल ट्रायल के 30 बिंदुओं पर ज्ञापन दिया।

साधना कार्णिक ने बताया कि इस ज्ञापन की कॉपी को इंदौर में भी पीथमपुर बचाओ समिति व अन्य संस्थाओं द्वारा भी मीडिया को दिया जाएगा। समिति ने ज्ञापन की कॉपी हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को भी भेजकर कोर्ट से संज्ञान लेते हुए खतरनाक फर्जी विफल अधूरे ट्रायल की श्रृंखला को रोकने का अनुरोध किया है।

समिति ने ज्ञापन के 30 बिंदुओं में सिलसिलेवार एमपीपीसीबी एवं सीसीपीबी की मीडिया में जारी पहले  विफल अधूरे ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट का विश्लेषण किया। रिपोर्ट को भोपाल कचरे के प्रदूषणकर्ता महत्वपूर्ण घटक एवं जनस्वास्थ्य से संबंधित निम्न महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाते हुए अधूरा पाया है। समिति द्वारा निम्न बिंदुओं पर सीपीसीबी की अधूरी विफल पहली ट्रायल रिपोर्ट पर स्पष्टीकरण मांगा है।

एमपीपीसीबी द्वारा मीडिया में जारी रिपोर्ट में बहुप्रचारित लगातार ऑनलाइन निगरानी 

OCEMS  के दौरान सबसे महत्वपूर्ण तथ्य स्टैक 1 या स्टैक 2 इंसीनेटर  का तापमान नहीं दिया गया है जो कि प्रदूषण  नियंत्रण के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। इस खतरनाक तथ्य का अर्थ यह भी है कचरे को अनजला या  कम तापमान पर अधजला लैंडफिल में दफनाया गया जो कि  जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए अत्यधिक खतरनाक हैं।

OCEMS में 3 मार्च को यह तापमान 100 से भी कम बताया गया है जो कि अति असामान्य गैरवैज्ञानिक तथ्य है पूर्व में सीपीसीबी ने कचरे को 1200 पर जलाने की घोषणा की थी। इसका अर्थ कचरे को सही तापमान पर नहीं जलाया।

 • इंसीनेटर का कम तापमान खतरनाक प्रदूषण करेगा

यह विवरण अधूरी रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। समिति ने कहा है वर्तमान रिपोर्ट में 2015 की ट्रायल रिपोर्ट में से अधिकांश पैरामीटर एवं विवरण को 2025 की ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट से गायब कर दिया गया है।

एमपीपीसीबी द्वारा मीडिया में जारी पहली ट्रायल रिपोर्ट में भोपाल जहरीले कचरे के अत्यंत महत्वपूर्ण घटक मर्करी जो कि अत्यंत घातक न्यूरोटोक्सिन है कि 2015 की रिपोर्ट में सामान्य से 700 से 900 गुना मात्रा है का जारी अधूरी रिपोर्ट में जिक्र ही नहीं किया गया है।

मर्करी को किस विधि से तथा कितनी मात्रा में स्थिर किया गया यह भी अधूरी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है। भारत में मर्करी स्थिरीकरण की तकनीक ही उपलब्ध नहीं है। सीपीसीबी अधूरे विफल ट्रायल में  लैंडफिल में बिना निष्पादन किए उच्च मात्रा में मर्करी फल रहा है जो कि  पर्यावरण में खतरनाक मर्करी प्रदूषण फैला रहा है। यह पहले ट्रायल की पूर्ण विफलता दर्शाता है।

भारत में मर्करी स्थिरीकरण की यह तकनीक उपलब्ध नहीं

सीपीसीबी ने मर्करी को स्थिर कैसे किया इसका पहले विफल ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में विवरण नहीं दिया है।

मर्करी की कितनी मात्रा लैंडफिल में डाली गई 

किस क्वालिटी के मर्करी फिल्टर को कहा दफनाया गया यह विफल पहले ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है। मर्करी लगभग 356.7 के आसपास गैस बनती है। एंबिएंट गैस या हवा में मर्करी की कितनी मात्रा निकली यह भी पहले विफल ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है।

भोपाल जहरीले कचरे को इंसीनेटर में डालने की पूर्व की स्पीड 90 किलो प्रति घंटे की बजाय 155 किलो प्रति घंटे कर  जनविरोध को देखते हुए हड़बड़ी में (OCEMS पॉर्नबिना इंसीनेटर तापमान बताए) कचरा जलाया गया जिससे कितना पर्यावरण के लिए खतरनाक अधजला कचरा बचा जिसे लैंडफिल में डाला गया यह पहले विफल ट्रायल की अधूरी  रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है।

पहले ट्रायल रिपोर्ट में लैंडफिल निर्माण प्रक्रिया तथा TCLP वैल्यू अर्थात इस कचरे की भस्म लैंडफिल में डालने योग्य है भी या नहीं यह पहले विफल ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है। भोपाल के जहरीले कचरे की  फिंगरप्रिंट रिपोर्ट या तल की भस्म रिपोर्ट को ना ही 2015 की ट्रायल रिपोर्ट में ना ही 2025 के पहले विफल ट्रायल की पहली अधूरी रिपोर्ट में बताया गया है।

भोपाल के घातक का केमिकल कचरे को जलाने से ऑनलाइन निगरानी द्वारा अथवा अन्य तरीके से घातक जहरीली गैस डाइऑक्सिन व फ्यूरान की कितनी मात्रा निकली यह नहीं बताया गया है। डाइऑक्सिन व फ्यूरान की किस लैब में जांच कराई उस का नाम नहीं बताया गया है।

यह विवरण पहले विफल अधूरे ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। ज्ञात हो कि तमाम अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन बासल मीनामाता  स्टॉकहोम रोटरडम आदि भोपाल का अत्यधिक।(700 से 900 गुना) न्यूरोटॉक्सिन मर्करी व अन्य भारी धातु तथा  डाइऑक्सिन व फ्यूरान गैस उत्पन्न करने वाला घातक केमिकल से युक्त कचरा इंसीनेटर में न जलाने की गाइडलाइन देते है जिसका भारत हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद सीपीसीबी भोपाल कचरे के ट्रायल में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया।यह तथ्य जनता से छुपाया  गया है।

सल्फर अत्यंत घटक प्रदूषणकर्ता होने पर भी सल्फर की अत्यंत उच्च मात्रा 72 घंटे में करीब 60 किलो भोपाल कचरे।के ट्रायल के दौरान उपयोग की गई जो प्रक्रियागत रूप से लैंडफिल में डालने के बाद घातक प्रदूषण उत्पन्न करेगी। जिस प्रदूषण का विवरण अधूरे विफल ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में अवैज्ञानिक और झूठ बोलकर आश्चर्यजनक रूप से सामान्य बताया गया है।

भोपाल कचरे के ट्रायल के दौरान सबसे बड़े प्रदूषण कर्ता  डीजल को एनर्जी के रूप में उपयोग किया गया। पहले ट्रायल में मीडिया रिपोर्ट अनुसार संपूर्ण प्रक्रिया में 63000, लीटर डीजल का उपयोग किया गया ।

अधूरी रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है की डीजल फ्यूम्स भोपाल कचरे के सारे मानकों को किस प्रकार प्रभावित करेगा। यह भोपाल कचरे के विफल अधूरे ट्रायल की अधूरी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है।

पीथमपुर TSDF को पूर्व में एमपीसीसीबी द्वारा लैंडफिल सीपेज पर नोटिस दिया गया जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है इस  महत्वपूर्ण तथ्य को भी अधूरे विफल ट्रायल अधूरी  रिपोर्ट में नजरअंदाज किया गया है।

2015 ट्रायल तथा 2025 ट्रायल की वीडियोग्राफी की  भी अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। समिति ने मांग की है कि जन स्वास्थ्य से संबंधित उपरोक्त बिंदुओं पर विफल होने के कारण पीथमपुर के आधे अधूरे विफल ट्रायल तत्काल रोके जाए।