एमएफपी पार्क में अनुभवहीन सीईओ की पदस्थापना से बर्बाद होता विंध्या हर्बल्स


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स्टोरी हाइलाइट्स

एमडी ठाकुर के कार्यकाल में उत्पादन घटा प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ा..!!

भोपाल: लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी में सीईओ के पद पर को सीनियर आईएफएस को दरकिनार कर अनुभवहीन और जूनियर की पदस्थापना से विंध्या हर्बल” नाम से आयुर्वेदिक उत्पादों के उत्पादन में निरंतरता गिरावट आ रही है। वहीं प्रबन्ध संचालक विभाष ठाकुर की प्रशासनिक मनमानी से प्रशासनिक अराजकता का माहौल बनता जा रहा है। 

 एक वर्ष में तीन सीईओ (आईएफएस) और तीन उत्पादन प्रबंधक (एसडीओ) बदलने का खेल से एमएफपी पार्क में पूरे उत्पादन प्रक्रिया को चरमरा कर रख दिया। लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर के कार्यकाल में अब तक सीईओ एवं सीसीएफ पीजी फुलजले, प्रमोटी डीएफओ अर्चना पटेल और अब जूनियर आईएफएस गीतांजलि जे की सीईओ के पद पर पदस्थापना हुई है। 

इसी प्रकार गड़बड़ियों के नाम पर उत्पादन प्रबंधक एसडीओ बी पिल्लई को 12 जनवरी 24 को हटाया पर जिन कारणों से हटाया गया, उसका निराकरण आज तक नहीं हुआ है। पिल्लई के हटने के बाद रेंजर सुनीता अहिरवार को एसडीओ का प्रभार देते हुए उत्पादन उप प्रबंधक बनाया। इनके कार्यकाल में रॉ मटेरियल की खरीदी से लेकर गुणवत्ताहीन दवाइयों के उत्पाद के मामले प्रकाश में आने लगे। इसकी वजह से एमएफपी पार्क की साख गिरी। 

सितंबर 24 में अहिरवार को हटाने के बाद एमडी ठाकुर ने एसडीओ मणिशंकर मिश्रा को उत्पादन उप प्रबंधक के पद पर पदस्थ किया। मिश्रा को आयुष विभाग द्वारा एक करोड़ 70 लख रुपए की आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार कर सप्लाई का लक्ष्य दिया गया। मिश्रा ने एमडी द्वारा निर्धारित लक्ष्य के 90% ऐसा पूरा कर लिया इस बीच एमडी ने मिश्रा की जगह रेंजर प्रियंका बाथम को एसडीओ का प्रभार देते हुए उत्पादन उप प्रबंधक बनाने का फरमान जारी किया। 

एमडी के बार-बार बदलते निर्णय की वजह से एमएफपी पार्क मैं प्रशासनिक अस्थिरता हुई बल्कि इसका असर उत्पादन पर भी पड़ रहा है। दिलचस्प पहलू यह है कि जिन अधिकारियों को हटाया उनके भ्रष्टाचार की जांच नहीं रिपोर्ट तक नहीं आई। आयुष 1.8 करोड़ के ऑर्डर को सप्लाई नहीं करने और गुगुल खरीदी में भ्रष्टाचार करने वाली सुनीता अहीरवार की जांच आज तक तक शुरू नहीं हुई।

उत्पादन मिश्रा से वापस लिया डीडीओ प्रभार..

वर्तमान एसडीओ उत्पादन प्रबंधक ने एक महीने में आयुष 1.8 करोड़ के ऑर्डर को 90 प्रतिशत सप्लाई कर दिया और ११ करोड़ का नया ऑर्डर भी आया लेकिन वो भी एसीएस और एमडी की आपसी श्रेष्ठता की लड़ाई में फंस गये। उनसे डीडीओ प्रभार ले लिया और तो और अभी तक ११ करोड़ के ऑर्डर का काम भी चालू नहीं हो पया है।

रेंजर प्रियंका को  प्रभार देना चाहती है सीईओ..

एसडीओ मिश्रा से डीडीओ प्रभार लेने के बाद अब नये एसडीओ की पोस्टिंग कराने के लिये पत्र भी लिख दिया है।एसडीओ की नई पोस्टिंग से पहले ही रेंजर प्रियंका बाथम को उत्पादन शाखा में कार्य शुरू करने के आदेश दिये है। एसडीओ मिश्रा के समय हुये कार्यों की समीक्षा के नाम पर रेंजर प्रियंका ने भुगतान रोका। 

रेंजर प्रियंका बाथम को रिटेल का प्रभार दिया गया था लेकिन रिटेल में कार्य ना कर उत्पादन में हस्तक्षेप करना शुरू है। यहाँ तक की फाइलों में ख़ुद को असिस्टेंट मैनेजर की जगह डिप्टी मैनेजर लिखती है और एसडीओ का चार्ज लेने की जुगाड़ में मिश्रा द्वारा आयुष ऑर्डर सप्लाई करने के दौरान किये गये कार्यो के भुगतान रोक कर रखा है जिससे नये ऑर्डर सप्लाई में कोई काम नहीं हो रहा।