भोपाल : राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधायक लखन घनघोरिया के सवाल के जवाब में बताया हैं कि पिछले चार साल में जबलपुर जिले के 18 पुलिसकर्मियों को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण स्थानांतरित किया गया जिनमें जबलपुर शहर के 17 एवं जबलपुर ग्रामीण का एक पुलिसकर्मी शामिल है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जबलपुर जिले में डीएसपी के 4, एसआई के 66, एएसआई के 102, हवालदार का 1 तथा आरक्षक के 577 पद रिक्त हैं। जबलपुर में एएसपी से लेकर आरक्षक तक ऐसा कोई भी पुलिस कर्मी नहीं है जो पिछले चार साल से अधिक अवधि से एक ही स्थान पर पदस्थ हो।
अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान हेतु अभियान :
विधायक डॉ अभिलाष पाण्डेय को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि राज्य सरकार अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान एवं निर्वासन हेतु केंद्र से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप पुलिस आयुक्त भोपाल/ इंदौर और समस्त पुलिस अधीक्षकों को वैधानिक कार्यवाही हेतु निर्देशित कर चुकी है एवं इसकी नियमित मासिक रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में विशेष पहचान अभियान चलाकर अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान, निगरानी एवं कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है, गृह विभाग ने एसटीफ गठन कर उसे दस्तावेजों की सत्यता की जांच और पूछताछ के माध्यम से कार्यवाही का निर्देश दिया है। झुग्गी झोपडिय़ों में संभावित अवैध विदेशी नागरिकों से संबंध की कोई पुष्टि नहीं हुई है, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विशेष सर्वेक्षण नहीं कराया गया है।
ब्लेक लिस्ट शराब ठेकेदार :
विधायक सुशील कुमार तिवारी को उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि जबलपुर जिले में विगत पांच वर्षों में 89 शराब ठेकेदारों को 43 करोड़ 20 लाख 29 हजार 374 रुपये बकाया होने पर ब्लेक लिस्ट किया गया। इन ठेकेदारों से बकाया राशि ब्याज सहित वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है।
डिलीवरी बॉय पंजीकृत नहीं :
विधायक दिलीप सिंह परिहार के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न ऑनलाईन कंपनियों के डिलीवरी बॉय राज्य के गृह विभाग में पंजीकृत नहीं हैं। प्रदेश में 1 जनवरी 2018 के पश्चात छह ऐसी घटनायें पुलिस में एफआईआर के जरिये दर्ज हुई हैं जिनमें डिलीवरी बॉय ने अपराध किये। इनमें जबलपुर के आधारताल थाने में अमेजन कंपनी के कर्मचारी राजू पटेल निवासी घमापुर के खिलाफ अपराध क्रमांक 615/2025 में बीएनएस की धारा 115, 296, 351 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ। इन ठहों प्रकरणों में संबंधित ऑनलाईन कंपनियों ने अपने डिलीवरी बॉय की सूची थाने में उपलब्ध नहीं कराई है।