भोपाल: जंगल महकमे में पिछले एक दशक से वर्किंग प्लान बनाने में न तो नीति लागू हो पा रही है न ही परंपरा। आईएफएस अफसर बिना वर्किंग प्लान बनाए प्राइम पोस्टिंग पाने के लिए आईएफएस अफसर एड़ी-चोटी का जोर लगाते आ रहे हैं। यही वजह है कि पीसीसीएफ वर्किंग प्लान द्वारा मंत्रालय को भेजे गए आईएफएस अफसरों की पदस्थापना संबंधित प्रस्ताव पर 6 महीने से शासन निर्णय ही नहीं कर पा रहा है।
इसकी वजह से नॉर्थ बालाघाट, नॉर्थ पन्ना, नॉर्थ सागर, ओबेदुल्लागंज, पश्चिम बैतूल और छिंदवाड़ा वर्किंग प्लान बनाना लंबे समय से ड्यू है। इस प्रस्ताव में 2011 बैच के आईएफएस ओएसडी वन अनुराग कुमार, देवांशु शेखर, संध्या, विजय सिंह, 2012 बैच के आईएफएस विजेंद्र श्रीवास्तव और क्षितिज कुमार के नाम वर्किंग प्लान बनाने के लिए प्रस्तावित है। ये अधिकारी भी विभाग में चली आ रही परंपरा और नीतियों को दरकिनार प्राइम पोस्टिंग के लिए अपने रसूख का इस्तेमाल करने में लगे है।
बिना प्लान बनाए पोस्टिंग के दुष्परिणाम
वन विभाग का अपना एक सुनहरा इतिहास रहा है। वनों के उचित एवं सस्टेनेबल प्रबंधन हेतु सबसे महत्वपूर्ण यह है कि प्रत्येक वन अधिकारियों को वनों की कार्य योजना बनाने की प्रक्रिया से अवगत होना चाहिए। विभाग में पूर्व में यह सामान्य परिपाटी रही है कि किसी भी एक वन मंडल वर्किंग प्लान बनाने के पश्चात ही सर्किल स्तर पर सीएफ अथवा सीसीएफ पद पर पदस्थिति की जाती रही है। वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि कार्य आयोजना की पदस्थिति न करते हुए विभिन्न तर्कों के अधीन अनेक अधिकारियों को वन वृत्त का प्रभारी के रूप में पदस्थिति की गई है। कार्य आयोजना निर्माण प्रक्रिया में पदस्थिति को बायपास करने का तात्कालिक दुष्परिणाम वनों का युक्तियुक्त प्रबंधन में कमी आना, वनों की उत्पादकता एवं वन राजस्व में कमी, वन अतिक्रमण की रोकथाम के प्रयासों वृत्त स्तर पर उचित अनुभव एवं अधिकारियों में वन वर्धनिक क्रियाशीलता का अभाव दृष्टिगत होता है।
कार्य आयोजना में पदस्थिति
इस संबंध में वन विभाग से कार्य आयोजना में पदस्थिति संबंधी जारी पत्र दिनांक 29 जनवरी 2023 के कंडिका (1) में पुनः विचरण की आवश्यकता प्रतीत होती है। इस कंडिका में दिए प्रावधानों का अदृश्य रूप से कई अधिकारियों को परोक्ष रूप से लाभ प्राप्त हुआ है कि उनकी कार्य योजना में पदस्थिति न की जा सके। इस आलोक में भी दिनांक 29 जनवरी 2023 पत्र का पुनरीक्षण करने की आवश्यकता प्रतीत होती है। अतः भविष्य में की जाने वाली वृत्त स्तरीय पदस्थिति के लिए यह आवश्यक रूप से इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए।
2008-10 बैच के आगे विभाग झुका, बदले आदेश
29 जनवरी 24 को राज्य शासन द्वारा जारी आदेश से यह प्रतिध्वनि उभर कर सामने आई की 2010 बैच के दबाव में राज्य शासन ने विभाग की परंपरा और पूर्व के सभी आदेश निरस्त कर दिए। नए आदेश के तहत भारतीय वन सेवा संवर्ग के उप वन संरक्षक स्तर के अधिकारी जिन्होंने 9 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें वरिष्ठता सूची अनुसार वरिष्ठता कम आने पर कार्य आयोजना इकाई में पदस्थ किया जावेगा। यह पदस्थापना कार्य आयोजना पूरी होने तक की अवधि के लिए होगी।
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी भारत सरकार, राज्य शासन एवं अशासकीय संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हो तो ऐसे अधिकारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति से लौटने पर यदि वे वन संरक्षक के पद पर पदोन्नत नहीं हुए हों तथा उससे कनिष्ठ अधिकारी कार्य आयोजना में पदस्थ हो गया हो तो ऐसे अधिकारी को कार्य आयोजना में अनिवार्यतः पदस्थ किया जायेगा।
इस आदेश से 2008 बैच से 2010 बैच के करीब एक दर्जन अफसर को वर्किंग प्लान बनाने की छूट मिल गई है। जिन अफसर को इसका फायदा मिलने वाला है, उनमें 2008 बैच के कमल अरोड़ा, नरेश सिंह यादव, 2009 बैच के अनुपम सहाय, डॉ किरण बिसेन, मधु वी राज, अनिल शुक्ला, आलोक पाठक और 2010 बैच के रिपु सूदन सिंह भदोरिया, रविंद्र मणि त्रिपाठी, वासु कनौजिया गौरव चौधरी शामिल है।