14 साल पहले जनप्रतिनिधियों ने इंदौर की जनता के साथ मिलकर इंदौर में प्रदेश की पहली मेट्रो शुरू करने का जो सपना देखा था, वह अब पूरा हो गया। देवी अहिल्या की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रूप से बटन दबाकर भोपाल से इंदौर मेट्रो के कमर्शियल रन की शुरुआत की। अब शहरवासी गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर स्टेशन क्रमांक 3 तक सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर के 5.9 किलोमीटर हिस्से में मेट्रो से सफर करेंगे।
अहिल्या की नगरी में पहली बार शुरू हुई मेट्रो इसलिए खास है क्योंकि इसकी पहली यात्रा में सिर्फ महिलाएं यात्री हैं। इसके साथ ही इंदौर में सार्वजनिक परिवहन के नए मॉडल में 'मेट्रो' का अध्याय भी जुड़ गया है।
सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक हर आधे घंटे में एक मेट्रो चलेगी। पांच स्टेशनों के लिए किराया 30 रुपए होगा। पहले सप्ताह पूरी तरह से मुफ्त, दूसरे सप्ताह किराए में 75 प्रतिशत छूट, तीसरे सप्ताह किराए में 50 प्रतिशत छूट, अगस्त तक किराए में 25 प्रतिशत छूट।
मेट्रो बिना ड्राइवर के भी स्वचालित रूप से चल सकती है। हालांकि, शुरुआत में मेट्रो में पायलट मौजूद रहेंगे। मेट्रो की सुरक्षा का आकलन गिनीज बुक ऑफ ऑटोमेशन (GOA) कोड के आधार पर किया जाता है। दिल्ली मेट्रो GOA-2 और अहमदाबाद मेट्रो GOA-3 कोड श्रेणी की है। इंदौर मेट्रो GOA-4 कोड श्रेणी की है। इस कोड श्रेणी की मेट्रो दिल्ली की सिर्फ दो लाइनों पर चल रही है।
कोच का तापमान मौसम के हिसाब से 24 से 26 डिग्री सेल्सियस रहेगा। यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लेटफार्म पर स्क्रीन डोर होगा, जिसके खुलने पर यात्री मेट्रो में सवार हो सकेंगे।
मेट्रो स्टेशन की सुरक्षा की जिम्मेदारी रिटायर्ड सैन्यकर्मी संभाल रहे हैं। आपात स्थिति में ट्रिप सिस्टम दबाकर मेट्रो को रोका जा सकेगा।
मेट्रो उद्घाटन की तैयारियां देखने शुक्रवार 30 मई को शाम 4 बजे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय प्लेटफार्म पर पहुंचे तो गांधी नगर स्टेशन लिखा बोर्ड देखकर नाराज हो गए और मेट्रो अधिकारियों को इसे बदलने के निर्देश दिए। देर रात तक प्लेटफार्म के जिस नाम पर गांधी नगर स्टेशन लिखा था, उस पर देवी अहिल्याबाई होलकर टर्मिनल के स्टीकर लगाए गए।
आपको बता दे, कि 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) को इंदौर और भोपाल में मेट्रो की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए।
2017 में इसे मध्य प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी मिली। साल 2018 में भारत सरकार की मंजूरी मिली। 2019 में भारत सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और एमपीएमआरसीएल के बीच करार हुआ। 2021 में निर्माण एजेंसी ने मेट्रो निर्माण कार्य शुरू किया। 2023 में सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर पहली बार मेट्रो चली। 2025 में मेट्रो चलाने के लिए सीएमआरएस से क्लीन चिट मिली।