ऐसा है मध्य प्रदेश का खानपान, जाने मध्य प्रदेश की लोकप्रिय रेसिपीज के बारे में..


स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश भारत का हृदय प्रदेश होने के साथ-साथ स्वाद का प्रदेश भी है। बहुरंगी संस्कृति से रचा बसा यह प्रदेश अपने बहुस्वादी खानपान के कारण भी पहचाना जाता है।

मध्य प्रदेश के फूड और रेसिपी:

पुरा आदिवासी भोजनों, व्यंजनों के साथ ठेठ राजसी स्वाद के व्यंजनों को मध्यप्रदेश में अलग अलग क्षेत्र के अंदाज से अपने रंग-ढंग से परोसा जाता है। 

पारंपरिक क्षेत्रों में मालवा, निमाड़, विंध्य, बुंदेलखंड, आदिवासी और अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से पकाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के फीके, मीठे, तीखे और नमकीन स्वादों का मेल जोल है। स्वाद की सत्ता यहां सदियों से लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलती रही है। प्रदेश में ग्वालियर की चाट और गजक, इंदौर का पोहा, रतलाम के सेव, उज्जैन की दाल-बाटी, भोपाल के कबाब और बिरयानी, बुंदेलखंड के गकड़ और भटे का भर्ता, मालवा के बाफले और चूरमा प्रसिद्ध है।

मध्यप्रदेश के लोगों में खान-पान की पसंद उत्तर भारतीय राज्यों की तरह ही है। यहां रोटी, सब्जी, दाल और फिर चावल को पसंद किया जाता है। राज्य के अधिकांश लोगों में खाने में गेहूं की रोटी और तुअर की दाल होती है। इसके बाद मूंग की दाल, चने की दाल व अन्य दालें उपयोग में आती हैं। दालों में तेल या घी से छौंक लगाने में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। 

ग्वालियर, दतिया, मुरैना इलाके में हिंग का छौंक दिया जाता है तो मालवा में टमाटर, प्याज के साथ लाल मिर्च से छौंक बनाते हैं। छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी में जीरे के छौंक वाली दाल पसंद की जाती है। दाल के साथ चावल को भी प्राथमिकता दी जाती है। 

लेकिन इसे प्राय: रोटियों के बाद खाया जाता है और छिंदवाड़ा, बैतूल, रीवा, सतना, बालाघाट, मंडला आदि जिलों में इसे ज्यादा पसंद किया जाता है। ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, अशोक नगर आदि में चावल की बजाय गेहूं की रोटी को ही मुख्य आहार माना जाता है।

मध्यप्रदेश में सभी तरह की सब्जियां पसंद की जाती है, लेकिन आलू और प्याज यहां भी सबसे अधिक पसंद की जाने वाली सब्जियां हैं। ज्यादातर सब्जियों को बनाने में आलू और प्याज का उपयोग होता है। इसके बाद टमाटर, बैंगन, लौकी, भिंडी आदि की बारी आती है। 

घरों में मौसमी सब्जियां, भाजी (पत्तेदार सब्जियां पालक, मैथी, चौलाई) को आग्रह के साथ बनाया जाता है। कटहल, कद्दू, गिलकी, तोरई, गोभी, गाजर आदि भी पसंद किए जाते हैं। स्वाद में आ रहे बदलाव के कारण अब लोगों को शिमला मिर्च, गाजर, पत्ता गोभी अधिक भा रही है।

प्रदेश में चाइनीज व्यंजनों नूडल्स, चाऊमीन आदि को भी खाने वालों की अच्छी खासी तादाद है। इसी तरह पिज्जा और पास्ता खाने वालों के कारण सब्जी बाजारों में खासतौर पर मिलने वाली शिमला मिर्च और गाजर अब बारह महीने मिलने लगी है। इसी तरह मांसाहार करने वालों की तादाद में इजाफा हुआ है। 

पहले विशेष जाति धर्म के लोग ही मांसाहार करते थे, लेकिन अब बंधन, शर्म और बाधाएं सब खत्म कर दी गई है और मांस और मछलियों का सेवन करने वालों की पर्याप्त संख्या है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अलावा कुछ स्थानीय होटल्स ने अपनी शाखाएं खोल कर मांसाहार को बाजार में उतारा है। 

भारतीय भोजन की तरह ही क्षेत्र और इलाके के अनुसार स्वाद में परिवर्तन हो जाता है। महाराष्ट्र की सीमा से लगे जिलों में मराठी भोजन की छाप लगती है तो राजस्थान के सटे जिलों में दाल-बाटी-चूरमा के साथ बेसन के गट्टे की सब्जी की महक आने लगती है। 

वहीं उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों में अलग स्वाद आता है तो छत्तीसगढ़ से सटे इलाकों में एकदम अलग तेवर होते हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चूंकि मुस्लिम नवाबों-बेगमों का शासन रहा, इसलिए यहां के खान-पान पर मुगल और मुस्लिम खाने का अंदाज दिखाई देता है। रोटियां भी गेहूं के आटे से बनी सादी रोटी, रुमाली रोटी, मीठे खमीर की रोटी और तंदूर में पकी मैदे की रोटी आदि प्रचलन में रही हैं। 

बुरहानपुर, खंडवा, इंदौर, छिंदवाड़ा, बैतूल में महाराष्ट्र के भोजन शैली की झलक देखने को मिलती है। यहां पूरन पूरी का स्वाद भी मिलता है। 

मध्यप्रदेश में स्वादिष्ट खाना बनाना और सुंदर ढंग से परोसना आम जीवन का हिस्सा है। यहां के इंदौर और आसपास के इलाके को खास तौर पर स्वाद प्रेमियों का शहर कहा जाता है। यहां दिन में ही नहीं रात भर तरह तरह के पकवान, चाट, पोहे- जलेबी, दही बड़े और अन्य स्वादिष्ट भोजन मिलते हैं और लोग इनका आनंद लेते हैं। 

मध्यप्रदेश में पंजाबी खाना, मारवाड़ी खाना, दक्षिण भारतीय खाना सहित शाकाहारी मांसाहारी भोजन की विभिन्न प्रकार की पाक कलाओं का अनोखा संगम है।