सीहोर के कुबरेश्वर धाम में कावड़ यात्रा से पहले भगदड़ मच गई, जिसमें दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई। पंडित प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा से एक दिन पहले उमड़ी भारी भीड़ के चलते धाम की व्यवस्था चरमरा गई।
भगदड़ में कुचला गया एक श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दरअसल सीहोर जिले के प्रसिद्ध कुबरेश्वर धाम में मंगलवार 5 अगस्त को दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी। भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की कुचलकर मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
हादसा ऐसे समय हुआ जब बुधवार को पंडित प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में कुबेरेश्वर से चितवलिया हेमा गाँव तक कावड़ यात्रा का आयोजन होना है, जिसके लिए देश भर से हज़ारों श्रद्धालु कुबरेश्वर धाम पहुँचे हैं।
जैसे-जैसे दिन बीतता जा रहा है, कुबरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई। दर्शन, भण्डारण और ठहरने के स्थानों पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि कई जगहों पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इस अफरा-तफरी में दो श्रद्धालु भारी भीड़ में दबकर गिर पड़े और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य श्रद्धालु को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
6 अगस्त को होने वाली कावड़ यात्रा के लिए प्रशासन और आयोजकों ने दावा किया था कि नमक चौराहा, राधेश्याम कॉलोनी, बजरंग अखाड़ा, अटल पार्क, शास्त्री स्कूल, लूर्देस माता स्कूल और सीवन नदी के पास 4,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
श्रावण मास के दौरान भी भण्डारण, जलापूर्ति और दर्शन के व्यापक प्रबंध किए गए थे। लेकिन एक दिन पहले ही बढ़ती भीड़ ने सारे दावों की हवा निकाल दी।
सीहोर के एसपी दीपक शुक्ला ने बताया कि डायवर्जन और पार्किंग योजना 5 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे से 6 अगस्त की रात 11 बजे तक लागू रहेगी। भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से और छोटे वाहनों को न्यू क्रिसेंट चौराहे से अमलाहा की ओर डायवर्ट करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन हादसे के समय यह यातायात योजना ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई, जिससे पूरी यातायात और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था विफल हो गई।
आए दिन हर तरफ से भारी भीड़ के कारण होने वाले हादसों की ख़बरें सामने आती रहती हैं। इस दुर्घटना ने एक बार फिर प्रमुख धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे के बाद धाम परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और प्रशासन अब एक नियंत्रण कक्ष के माध्यम से निगरानी कर रहा है। मृतकों की पहचान की जा रही है और उनके परिजनों की तलाश की जा रही है। साथ ही, आयोजकों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।