बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू की गई एक मादा बाघिन को एक विशेष रेस्क्यू ट्रक में भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन 4 अगस्त की रात को शुरू हुआ और 5 अगस्त की रात 12:45 बजे बाघिन को सुरक्षित वन विहार पहुँचा दिया गया। लगभग 500 किलोमीटर के इस सफ़र के दौरान, वन विभाग की एक विशेषज्ञ टीम ने हर पल बाघिन पर नज़र रखी।
बाघिन को अप्रैल में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर रेंज के पिपरिया बीट से रेस्क्यू किया गया था। रेस्क्यू के बाद, उसे मगधी ज़ोन स्थित बहेरहा बाड़े में रखा गया, जहाँ लगभग तीन महीने तक उसकी निगरानी की गई। इस दौरान, यह पाया गया कि बाघिन स्वतंत्र रूप से शिकार नहीं कर सकती थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उसे जंगल में छोड़ना उसके लिए ख़तरा हो सकता है।
बाघिन की उम्र लगभग तीन साल बताई जा रही है। बाघिन ने एक 12 साल के लड़के पर हमला करके उसे मार डाला, जिससे उसके व्यवहार को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा हो गईं। इसके बाद, वन विभाग ने तुरंत बाघिन का रेस्क्यू कर उसे विशेष निगरानी में रखा।
इस जटिल और संवेदनशील अभियान में वन्यजीव विभाग की एक अनुभवी टीम शामिल थी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय ने कहा, "यह सिर्फ़ एक बचाव अभियान नहीं था, बल्कि वन्यजीवों के प्रति हमारी संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा का एक उदाहरण था।" उन्होंने कहा कि बाघिन को सुरक्षित आश्रय और विशेषज्ञ चिकित्सा प्रदान करना टीम की प्राथमिकता थी।
बचाव दल में वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश तोमर, वन रेंज अधिकारी दीपक राज, मनीष द्विवेदी, राज किशोर बर्मन, योगेंद्र सिंह और श्रीलाल यादव जैसे अनुभवी सदस्य शामिल रहे।
बाघिन को अब भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया है, जहाँ विशेषज्ञ डॉक्टर और अधिकारी उसकी कड़ी निगरानी कर रहे हैं। उसे वन विहार में एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण मिल गया है, जहाँ वह एक नई शुरुआत कर सकती है। वन विहार में रहने के दौरान, बाघिन के स्वास्थ्य, व्यवहार और स्थिति का नियमित मूल्यांकन किया जाएगा। उसके भविष्य के बारे में कोई भी अंतिम निर्णय विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।