BJP सरकार पर उमंग सिंघार का आरोप, आदिवासियों को ज़मीन के मालिकाना हक नहीं देना चाहती, सिर्फ़ लॉलीपॉप दे रही


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स्टोरी हाइलाइट्स

कांग्रेस विधायक ने कहा कि भाजपा सरकार हमारे बच्चों को कुपोषण से दूर नहीं रखना चाहती, क्योंकि अगर वे कुपोषित रहेंगे, तभी उनके नाम पर फंड आएगा और पैसा खर्च होगा..!!

मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार आदिवासियों को ज़मीन के मालिकाना हक नहीं देना चाहती, लाखों मालिकाना हक लंबित हैं, सरकार सुप्रीम कोर्ट की बात तो करती है, लेकिन आदिवासियों को सिर्फ़ लॉलीपॉप दे रही है। वहीं, विधायक विक्रांत भूरिया ने कुपोषण मामले को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

मानसून सत्र के छठे दिन, आदिवासियों के पट्टे पर चर्चा के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा- इस सरकार को बार-बार जागने की ज़रूरत है, हमने शुरुआत में सदन शुरू होने पर वन अधिकार पट्टे, वन भूमि के पट्टे के मुद्दे को टाल दिया था, आज सदन शुरू हुए एक हफ़्ता हो गया है लेकिन सरकार अब जागी है और चर्चा कर रही है।

उमंग सिंघार ने पूछा कि सरकार पहले दिन ही क्यों नहीं जागना चाहती? उन्होंने कहा कि आदिवासियों और अन्य समुदायों के पास लाखों पट्टे हैं लेकिन सरकार उन्हें देना नहीं चाहती, वह बार-बार सुप्रीम कोर्ट की बात करते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा है कि 2006 से पहले के पट्टे दिए जाने चाहिए लेकिन सरकार आदिवासियों और अन्य समुदायों को सिर्फ़ लॉलीपॉप देना चाहती है लेकिन पट्टे नहीं देना चाहती। आज सदन में स्थगन के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है। इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?

विधायक विक्रांत भूरिया ने कुपोषण के मुद्दे पर सरकार को घेरा, उन्होंने कहा कि इस राज्य में बड़ा मज़ाक चल रहा है, भाजपा सरकार 8 से 12 रुपये प्रतिदिन में इस राज्य से कुपोषण मिटाना चाहती है। मैंने एक सवाल पूछा, जिसके जवाब में सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि हम एक दिन में प्रति कुपोषित बच्चे पर 8 से 12 रुपये खर्च करते हैं।

कांग्रेस विधायक ने कहा कि आज दूध 70 रुपये प्रति लीटर महंगा है, इतने में केले भी नहीं मिल पाते, तो कुपोषण कैसे मिटेगा? दुख की बात यह है कि इस राज्य में पूरे देश में सबसे ज़्यादा कुपोषण दर है और आदिवासी ज़िले इससे ज़्यादा प्रभावित हैं। इसी कुपोषण के कारण हमारे राज्य में बाल मृत्यु दर देश में सबसे ज़्यादा 40 है। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई।