एक धातु, जिस पर निर्भर है मानवता का भविष्य -सरयूसुत मिश्रा


स्टोरी हाइलाइट्स

एक धातु, जिस पर निर्भर है मानवता का भविष्य - आज हम एक ऐसी धातु के बारे में बात कर रहे हैं, जो हर जगह है, लेकिन हम इसे देख नहीं सकते......

एक धातु, जिस पर निर्भर है मानवता का भविष्य -सरयूसुत मिश्रा आज हम एक ऐसी धातु के बारे में बात कर रहे हैं, जो हर जगह है, लेकिन हम इसे देख नहीं सकते. यह धातु आपके स्मार्टफोन, टेबलेट कैमरों और यहां तक कि कारों को भी शक्ति देती. यह धातु प्रौद्योगिकी युग की चालक है. यह तत्व सभ्यता के भविष्य को निर्धारित कर सकता है. इस धातु का नाम है लीथियम. इसका उपयोग बैटरी बनाने के लिए किया जाता है. बैटरी का उपयोग बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है. अब तो गाड़ियां भी बैटरी चलित बन रही हैं. वर्तमान में बैटरी के उपयोग और भविष्य की प्रगति को देखते हुए ऐसा लगता है कि एक धातु अगर न हो तो मानवता के भविष्य को बाधित किया जा सकता है. आज और आने वाले कल में लगभग सब कुछ बैटरी पर चलेगा और बैटरी के लिए लीथियम अनिवार्य है. भारत को लिथियम खरीदना पड़ रहा है. भारत दशकों से लीथियम खरीद रहा है, लेकिन इस मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत सरकार ने इंडस्ट्री के रूप में लीथियम का स्टॉक करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है. चूँकि भविष्य बैटरी आधारित उपकरणों पर निर्भर रहेगा, इसलिए अभी से भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं, ताकि भारत लीथियम के मामले में विश्व नेता बन सके. भारत अपनी आत्मनिर्भरता के लिए लीथियम का विशाल भंडार तैयार कर रहा है, जिससे भारतीय कंपनियां बड़ी मात्रा में बैटरी बना सकें. लीथियम भंडारण की योजना के अंतर्गत लीथियम भंडार वाले देशों से अधिक से अधिक लीथियम प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है. देश में लीथियम की रिफाइनरी का निर्माण किया जाएगा. वैश्विक बाजार में लीथियम प्राप्त करने के लिए अर्जेंटीना, चिल्ली और वोल्बिया जैसे देशों  से सीधे लीथियम की आपूर्ति के लिए सरकार प्रयासरत है. इसके लिए वर्ष 2019 में खान विदेश इंडिया नाम से एक कंपनी स्थापित की गई. यह कंपनी राज्य के तीन स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा इनकारपोरेट की गई. यह कंपनियां हैं नेल्को, हिंदुस्तान कॉपर और और मिनरल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड. यह कंपनी लीथियम और कोबाल्ट जैसी प्रमुख खनिज सम्पदा प्राप्त करेगी. नई कंपनी का अर्जेंटीना की एक कंपनी के साथ करार हुआ है. यह दोनों मिलकर लीथियम के रिजर्व की खोज करेंगी. चिली और वोलीबिया दो अन्य ऐसे देश हैं जहां लीथियन जैसे खनिज मिलने की संभावना है. वर्ष 2020 में भारत ने लीथियम आयरन बैटरी का सबसे ज्यादा आयात किया था. स्मार्टफोन और टेबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों में यह बैटरी आमतौर पर उपयोग की जाती है. वर्ष 2016 से इसके आयात में 4 गुना वृद्धि हुई है. अभी तक भारत जो बैटरी आयात करता था उसमें बहुत बड़ा हिस्सा चीन से आता था. अब भारत में तय किया है कि उसे इस क्षेत्र में आयात कम करते हुए भारत में ही इसका निर्माण शुरू करना है. लेकिन इसके लिए सबसे पहले कच्चे माल की जरूरत होगी. इसीलिए इसीलिए भारत ने अर्जेंटीना चिली और वोल्बिया जैसे देशों के साथ इस धातु के संग्रहण के लिए करार और अन्य प्रक्रिया शुरू की है. भारत में लीथियम की रिफाइनरी बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. पहली रिफाइनरी गुजरात में लगाई जा रही है. इस रिफाइनरी में लीथियम अयस्क को प्रोसेस कर लीथियम का उत्पादन किया जाएगा, जिसका बैटरी निर्माण में उपयोग हो सकेगा. क्योंकि अभी तक चीन लीथियम संगृहीत कर उसकी प्रोसेसिंग कर रहा था, इसलिए भारत ने इस क्षेत्र में कदम बढ़ाया और जहां पर लिथियम का कच्चा माल उपलब्ध है उन देशों से सीधे समझौते कर कच्चा माल प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है. रिफाइनरी स्थापित कर लीथियम को अधिक से अधिक मात्रा देश में उत्पादित करने का प्रयास शुरू किया है, जिससे कि भारत को दूसरों  पर निर्भर न रहना पड़े. भारत के इन प्रयासों में दुनिया के कई देश साथ आ रहे हैं, जो चीन की एकाधिकारवादी नीति के विरोध में हैं. आस्ट्रेलिया मुख्य रूप से भारत के साथ आ रहा है. लीथियम आने वाले भविष्य के लिए कितना आवश्यक है और यह धातु बहुत कम राष्ट्रों में उपलब्ध है. जैसे-जैसे बैटरी का उपयोग प्रौद्योगिकी और तकनीकी में बढ़ता जा रहा है. अगर अभी से लीथियम की व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित नहीं की गई तो भविष्य में हमारी प्रगति इससे प्रभावित हो सकती है. तकनीकी विकास से मनुष्य के जीवन में जो नए-नए आयाम और उपकरण आते जा रहे हैं उन सभी की जान बैटरी हैं और बैटरी अगर नहीं बन सकेगी तो भविष्य में प्रगति की रफ्तार प्रभावित हो सकती है. सोचिए प्रौद्योगिकी के विकास में धातु कितना महत्व स्थान रखती है कि उसके बिना कोई भी उपकरण चल नहीं सकता।