नर्मदापुरम में ढाई करोड़ के गोल्डन टीक कटने के बाद अब कूप काटने की गड़बड़ी उजागर


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स्टोरी हाइलाइट्स

डीएफओ पर अभी तक नहीं हुई कोई कारवाई, सीसीएफ ने की हॉफ के पत्र की अनदेखी..!!

भोपाल: नर्मदापुरम वन मंडल में पदस्थ अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। यही वजह है कि नर्मदापुरम सर्किल मैं सीसीएफ - डीएफओ से लेकर एसडीओ पर न तो वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े के पत्र का असर पड़ रहा है और न ही वन विभाग में शासकीय तंत्र के संचालन के लिए जो नियम बनाए गए है उसका पालन हो रहा है। 

गोल्डन टीक काटने से हुई ढाई करोड़ से अधिक की नुकसान के बाद वर्किंग प्लान से इतर कुपों की कटाई कर दी गई। हद तो तब हो गई जब सीसीएफ ने जिस कूप की कटाई नहीं हुई उस कूप में पुनर उत्पादन प्लान बनाकर मुख्यालय को भेज कर लाखों के बजट की मांग की है। मामला प्रकाश में आने के बाद अब डीएफओ मयंक गुर्जर अभयदान देने के लिए पीसीसीएफ विकास और पीसीसीएफ वर्किंग प्लान से गुहार लगा रहें हैं। 

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नर्मदापुरम वन मंडल के अकेले छीपीखापा बीट में पिछले एक साल में लगातार गोल्डन टीक (सागौन) अवैध कटाई के चलते ढाई करोड रुपए से अधिक की नुकसानी हुई पर अभी तक डीएफओ मयंक गुर्जर से लेकर किसी भी अफसर के खिलाफ कोई चार्जशीट जारी नहीं की गई। जबकि आरोप पत्र जारी करने के लिए पीसीसीएफ प्रोटेक्शन विभाष ठाकुर ने अपर मुख्य सचिव वन और वन बल प्रमुख को पत्र लिख चुके हैं। कार्यवाही नहीं होने के कारण ही वहां पदस्थ अफसर बेलगाम हो गए हैं। इसी वजह से विद्वान फॉरेस्ट अफसरों द्वारा बनाए गए कार्य योजना को दरकिनार कर कूपों का बिदोहन कर दिया गया। वनों के विदोहन हेतु भारत सरकार से कूप कटाई की अनुमति ली जाती हैं। 

नर्मदापुरम वन मंडल अंतर्गत इटारसी के लालपानी वन में SCI चयन सह सुधार के अंतर्गत कूप 2 बैलगाड़ा को 2025 में काटे जाने की अनुमति भारत सरकार से प्राप्त हुई थी, किंतु मुख्य वन संरक्षक के अधीन अधिकारियों ने 3 नंबर का कूप काट डाला। बिना सरकार की स्वीकृति के कूप काटे जाना अवैध कटाई की श्रेणी में आता है और दोषी वन अधिकारियों के विरुद्ध वन अपराध प्रकरण पंजीबद्ध होना चाहिए। हद तो तब हो गई, जब वन मंडल अधिकारियों ने जो 2 नंबर कूप काटा ही नहीं, उसकी कटाई उपरांत किए जाने वाले पुनर उत्पादन हेतु लाखों रुपए की योजना मुख्य वन संरक्षक से अनुमोदित कराकर राशि आवंटन कर आचमन करने की योजना भी बना डाली है। 

इससे लगता है कि वातानुकूलित दफ्तर में बैठकर लैपटॉप पर वन और वन्यजीव की सुरक्षा और वर्किंग प्लान के अनुसार विदोहन की कार्रवाई संचालित हो रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वन विभाग के विद्वान अधिकारियों द्वारा कड़ी मेहनत कर हर वन मंडल की 10 वर्षों के लिए वर्किंग प्लान बनाया जाता है , जिसे भारत सरकार और राज्य सरकार स्वीकृत करती है। इसके अनुसार ही विदोहन और पुनर उत्पादन के कार्य किए जाते हैं।

मार्किंग करने न सीसीएफ-डीएफओ गए और न ही एसडीओ

वर्किंग प्लान के अनुसार वृक्षों के बिदोहन किए जाने से पहले सीसीएफ, डीएफओ और एसडीओ द्वारा अधीनस्थकों प्रत्येक परिक्षेत्र में एक कूप में जाकर अनिवार्य रूप से मार्किंग कार्य का डिमांस्ट्रेशन दिया जाना सुनिश्चित है। वर्किंग प्लान के नियम के अनुसार मार्किंग कार्य का परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा समस्त कूपों का, उप वनमंडलाधिकारी द्वारा 50 प्रतिशत कूपों का एवं वनमंडलाधिकारी द्वारा 10 प्रतिशत कूपों निरिक्षण किया जाना अनिवार्य है। यानि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा न तो मार्किंग की गई और न ही निरीक्षण किया गया। यही वजह रही कि कूप क्रमांक 2 की जगह कूप क्रमांक 3 काट दिए गए। 

क्या कहता है नियम

चयन सह सुधार कार्य वृत्त में चूंकि समस्त आयु वर्ग के वृक्ष पाये जाते हैं। अतः इस कार्य वृत्त के कूपों में मार्किंग कार्य हेतु अधिक सावधानी व दक्षता की आवश्यकता होती है। अतः मार्किंग ऑफीसर तथा कार्य करने वाले श्रमिकों की दक्षता बढ़ाने व प्रावधानित उपचारों के सही परिपालन हेतु सतत् प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। मार्किंग कार्य प्रारंभ होने के पूर्व वनमडलाधिकारी / उप वनमंडलाधिकारी अधीनस्थकों प्रत्येक परिक्षेत्र में एक कूप में जाकर अनिवार्य रूप से मार्किंग कार्य का डिमांस्ट्रेशन दिया जाना सुनिश्चित करेंगे।  

पीसीसीएफ की कार्यशैली पर सवाल

नर्मदा पुरम वन मंडल में कूप कटाई की गड़बड़ी को लेकर पीसीसीएफ मनोज अग्रवाल की कार्य शैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। अग्रवाल जब पीसीसीएफ प्रोटेक्शन थे तभी नर्मदा पुरम वन मंडल के छिपीखपा बीट में लगातार सागौन की अवैध कटाई होती रही और वे चुप बैठे रहे। जबकि सेवानिवृत एसडीओ मधुकर चतुर्वेदी ने 2024 में दस्तावेज के साथ शिकायत की थी पर वे तमाशबीन बने रहे। उनके प्रोटेक्शन से हटने के बाद अकेले छीपीखापा बीट में अवैध कटाई से ढाई करोड़ के नुकसान का मामला प्रकाश में आया। 

उसके बाद वर्तमान में अग्रवाल को केम्पा के साथ-साथ पीसीसीएफ वर्किंग प्लान के पद पर पदस्थ हैं तो अब कूप कटाई में गड़बड़ी का मामला उजागर हो गया। वैसे अग्रवाल का नाता विवादों से हमेशा जुड़ा रहा है। वे जब प्रति नियुक्ति पर हॉर्टिकल्चर में थे तब बीज खरीदी में धांधली का मामला उजागर हुआ था। उन्हें 2023 में आरोप पत्र भी दिया गया था। बताते हैं कि तत्कालीन प्रमुख सचिव हॉर्टिकल्चर कल्पना श्रीवास्तव ने बीज खरीदी में गड़बड़ी के चलते उनकी अप्रेजल रिपोर्ट ही बिगाड़ दी थी। श्रीवास्तव ने उनकी सीआर 'घ' श्रेणी दी थी, जिसे बामुश्किल से सुधारा गया। अब वे सबको उनकी सीआर बिगाड़ने की धमकी देते रहतें हैं।