केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पोषण की कमी पर जताई चिंता, बयान ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी


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स्टोरी हाइलाइट्स

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “500 रुपये के गुलदस्ते की उम्र सिर्फ़ 20 सेकंड होती है। इतने में आप बच्चों को 2 किलो सेब खिला सकते हैं...”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान रविवार 7 दिसंबर को भोपाल में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) पर एक इवेंट में शामिल हुए। शिक्षा के लिए लोगों के आंदोलन पर बोलते हुए, उन्होंने मध्य प्रदेश में स्कूली बच्चों के न्यूट्रिशन पर एक चौंकाने वाला बयान दिया और मंच पर मौजूद BJP विधायकों को कड़ी चेतावनी दी।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मौका लपकते हुए मामले को लोकर बीजेपी को आड़े हाथों लिया है।

पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है, कि बहुत-बहुत धन्यवाद, प्रिय 
@dpradhanbjp जी! मैं हृदय से आपको साधुवाद देता हूं! नागरिक अभिनंदन भी करना चाहता हूं! आप 25 साल पुरानी  @BJP4MP
सरकार का "असली-चेहरा" देश और मेरे #मध्यप्रदेश की जनता के सामने लेकर आ गए हैं! मैं आपकी जानकारी में संशोधन करते हुए, यह भी कहना चाहता हूं कि - आज से करीब 07 साल पहले मप्र में 1 करोड़ 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत थे! यह संख्या अब घटकर 1 करोड़ 04 लाख हो गई है! मतलब लगभग 50 लाख बच्चों की संख्या कम हो गई है! पहले बजट 07 हजार करोड़ का था यही बजट अब 37 हजार करोड़ का हो गया है! यदि फिर भी स्कूली बच्चे सेब और अंजीर नहीं खा पा रहे हैं! दूध भी नहीं पी का रहे हैं, तो सवाल यह है कि इसे कौन "खा" रहा है? 
@DrMohanYadav51 जी, जब यही सवाल तर्क और तथ्य के साथ हम उठाते हैं, तो अहंकार में डूबी आपकी सरकार की "समझ" समाप्त हो जाती है! अब जबकि 
@BJP4India की केंद्रीय टोली के "प्रधान" ने ही आपको आईना दिखाया है, तो यह "बदशक्ल सरकारी चेहरा" जरूर देखें! भ्रष्टाचार के असंख्य दाग से बदरंग हुए स्कूली शिक्षा के इस चेहरे के जरिए ही, अब विभागीय समीक्षा भी प्राथमिकता से करें! मैं यह भी दोहराना चाहता हूं कि मप्र के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कांग्रेस भी सकारात्मक विपक्ष की भूमिका के लिए तत्पर है! क्योंकि, यह दलगत राजनीति से अलग एक ऐसा गंभीर मसला है, जिस पर "राजनीति" तो बिल्कुल ही नहीं हो सकती! 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूट्रिशन कैंपेन शुरू किया है, लेकिन यह सिर्फ़ सरकार का मिशन नहीं हो सकता। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे गुलदस्तों पर खर्च होने वाले 500 या 1000 रुपये फलों या न्यूट्रिशन वाली चीज़ों पर खर्च करें।
मंत्री ने कहा, "मुझे एक गुलदस्ता दिया जाता है, जिसकी कीमत कम से कम 500 रुपये होती है, और यह सिर्फ़ 20 सेकंड तक रहता है।" “ये गुलदस्ते फ़ोटो दिखाने के लिए दिए जाते हैं, जबकि इतने पैसे में 2 किलो सेब खरीदे जा सकते हैं।”

उन्होंने गुजरात का उदाहरण दिया, जहाँ गुलदस्तों की जगह फलों की टोकरियाँ देने की पहल शुरू की गई थी। अपने भाषण में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा को जन आंदोलन बनाने के लिए सिर्फ़ सरकारी कोशिशें काफ़ी नहीं हैं, समाज को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने मध्य प्रदेश में बच्चों के पोषण की स्थिति पर चिंता भी जताई।

बच्चों के पोषण के बारे में बोलते हुए, धर्मेंद्र प्रधान ने मंच पर मौजूद BJP MLA रामेश्वर शर्मा और भगवानदास सबनानी को रोका और एक अच्छा सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "हमारे ये दोस्त, रामेश्वर शर्मा, बड़ी-बड़ी दावतें करते हैं। वे हमारे हिंदू नेता हैं।" मैं उनसे रिक्वेस्ट करता हूँ कि इस बार, रामेश्वरजी के चुनाव क्षेत्र में, हफ़्ते में कम से कम एक बार, हर बच्चे को एक अंजीर, दो काजू और एक बेसन का लड्डू ज़रूर मिले। हो सकता है कि इसके पोषण से कोई अब्दुल कलाम बन जाए। 

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "मैं जिम्मेदारी से कहता हूं कि मध्य प्रदेश के 15 मिलियन स्टूडेंट्स में से 5 मिलियन ऐसे हैं जिन्होंने पांचवी कक्षा तक सेब नहीं देखा होगा। अगर देखा भी है तो मार्केट में देखा होगा, लेकिन खाने का सौभाग्य नहीं मिला होगा। अंजीर 10वीं कक्षा के बाद उनकी ज़िंदगी में आया होगा, वरना नहीं।