तबादले- पोस्टिंग में एसीएस-पीएस की मनमानी, मंत्रियों में नाराजगी


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स्टोरी हाइलाइट्स

एसीएस-पीएस ने अपनी मनमार्जी से अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले किए। चिंताजनक पहलू यह है कि गंभीर बीमारी से जुडें प्रकरणों में कर्मचारियों को ट्रांसफर का लाभ नहीं मिला..!!

भोपाल: प्रदेश में एक महीना 17 दिन ट्रांसफर करने पर सरकार ने मंत्रियों को छूट दी थी, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग में मंत्रियों की नहीं चली, बल्कि विभाग के एसीएस-पीएस ने अपनी मनमार्जी से अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले किए। चिंताजनक पहलू यह है कि गंभीर बीमारी से जुडें प्रकरणों में कर्मचारियों को ट्रांसफर का लाभ नहीं मिला। 

जबकि नीति में बीमारी, परिवार में बीमार और पति-पत्नी को एक ही जिले में पदस्थ करने का प्रावधान है। वन विभाग ने तो 'ए-प्लस' की नोटशीट तक की सिफारिशों को दरकिनार कर दिया। वन मंत्रालय में तबादला सूची में मैनेजमेंट कोटे के आधार देर रात तक नाम कटते और जुड़ते रहे। 

तबादला सीजन में मंत्रियों और प्रमुख सचिवों के बीच तालमेल की कमी भी खुलकर सामने आई है। तबादले के लिए तमाम मनुहार कर बैन हटवाने वाले मंत्रियों को मनमाफिक तबादला आदेश जारी कराने का मौका नहीं मिल सका है। अफसरों ने इसके लिए सरकार के नियमों को भी दरकिनार किया है। मंत्रियों और एसीएस और मंत्रियों के बीच खींचतान की वजह से कई विभागों में आठ फीसदी तक तबादले नहीं हो पाए हैं। 

वहीं कई विभागों द्वारा अब बैकडेट में तबादला आदेश जारी किए जा रहे हैं। राजस्व विभाग ने 509 पटवारियों का तबादला करने के बाद 89 पटवारियों की दूसरी तबादला सूची 18 जून आधी रात जारी की है और अभी कुछ सूची जारी करने की तैयारी है। वन विभाग में फारेस्ट गार्ड, प्रभारी रेंजर, रेंजर से लेकर एसडीओ तक के  ट्रांसफर 17 और 18 जून तक जारी किए गए। 

सीएम के विभागों को लेकर खासी माथपच्ची..

मुख्यमंत्री के पास गृह, जेल, उद्योग, नर्मदा घाटी, विमानन, वन जैसे दस से अधिक विभाग हैं और इन विभागों में जितने भी ट्रांसफर किए गए है, उसमें वह सीएम मॉनिट के नाम पर एसीएस-पीएस तक ने अपनी मनमानी की। वन विभाग में दीगर मंत्रियों को डस्टबिन में डाल दिया गया। इससे मंत्रियों में नाराजगी है। साथ ही स्थानांतरित हुए अधिकारियों कर्मचारियों में असंतोष है। 

कई अधिकारियों का कर्मचारियों ने मैनेजमेंट कोटे से मनपसंद पोस्टिंग कराने की सिफारिश मंत्रियों और शीर्षस्थ अधिकारियों से की थी पर उनके नाम तो सूची में है पर वह जगह नहीं, जो वो चाहते थे। देर रात तक नाम कटते और जुड़ते रहे। यही वजह रही कि एक रेंजर स्वस्ति श्री जैन की पोस्टिंग दो जगह कर दी गई। यहां तक कि वन मंडल में जो रेंज है ही नहीं, वहां कर दी गई। यहीं नहीं, स्वस्ति जैन का नाम स्वयं के व्यय पर और प्रशासनिक पर किए गए तबादला सूची में नाम है। 

वन विभाग में चर्चा है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने जमकर मनमानी की, क्योंकि वन विभाग सीएम के पास है और उनके पास गृह जेल उद्योग और आईएएस की पोस्टिंग संबंधित महत्वपूर्ण कार्य हैं। इसके कारण उनका वन विभाग पर फोकस कम रहा और इसका फायदा नौकरशाह और शीर्ष अफसरों ने उठाया। यही स्थिति जेल विभाग में भी थी। उद्योग विभाग की सूची का तो कर्मचारियों को पता ही नहीं चला। 

एमएसएमई विभाग में मंत्री चेतन्य काश्यप के प्रस्तावों को तवज्जो ही नहीं दी गई। उधर, पीएचई में किए गए तबादलों में विभाग की मंत्री द्वारा की गई अनुशंसाओं को दरकिनार कर फील्ड में ट्रांसफर किए गए और यह सब मुख्यमंत्री के नाम पर विभागों के अफसरों ने किया। इस मामले में तो विभागाध्यक्षों पर लेनदेन के भी आरोप कर्मचारियों ने लगाए हैं।

मंत्री प्रहलाद पटेल की तबादलों में नहीं चली..

कैबिनेट में प्रहलाद पटेल कद्दावर मंत्रियों में गिने जाते हैं लेकिन तबादलों में अफसरों ने उनकी नहीं सुनी। तबादला आदेश जारी करने के दौरान अफसरों ने यह कहकर मंत्री के यहां से आए नाम रिजेक्ट कर दिए कि यह तीन फार्मूले में फिट नहीं बैठते। ये फार्मूला, पारस्परिक तबादला, गंभीर बीमारी कैंसर या ब्रेन ट्यूमर तथा तीसरा महिला का अपने परिवार से दूर पदस्थ होना बताया गया। इसके बाद मंत्री के यहां से आए प्रस्तावों पर तबादले नहीं किए गए। 

वही आजीविका मिशन, आरईएस, पंचायत राज सहित अन्य विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ट्रांसफी खुलकर किए गए। उधर, राजस्व विभाग ने पीएस विवेक पोरवाल ने मंत्री करण सिंह वर्मा की भी नही सुनी। मंत्री ने जो सूची भेजी, उसमें भारी काट-छांट करते हुए प्रमुख सचिव और सीएलआर ने नाम मात्र तबादले किए हैं।