भोपाल: राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन में जुलाई में सेवानिवृत हुए प्रधान मुख्य संरक्षक सुदीप सिंह के प्रशासनिक पुनर्वास की फाइल मूव होने लगी है। इसी के साथ ही सिंह के पूर्व के कृत्य को लेकर शिकवे-शिकायतें भी शुरू हो गई। यहां तक कि 31 मई को EOW में भी उनकी शिकायत हुई है।
EOW में सालभर पहले की गई शिकायतों की प्रति अब वन मुख्यालय के गलियारों में वितरित की जा रही है। मई 24 में की गई शिकायत में सुदीप सिंह के वन विकास निगम में की गई कथित गड़बड़ियों का सिलसिलेवार उल्लेख किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि वन विकास निगम के जहां-जहां रीजनल ऑफिस का चार्ज रहा, वहां-वहां वनों की कटाई और अतिक्रमण होता रहा है। यानि सिंह के पास खण्डवा, जबलपुर छिंदवाड़ा आदि का प्रभार रहा है। यहां तक कि विदिशा-रायसेन परियोजना मण्डल भोपाल भी नहीं बच पाया है।
* राहतगढ़ वन परिक्षेत्र दक्षिण सागर वनमण्डल के कूपो में इमारती लकड़ी तथा जलाऊ काटने का कार्य इलेक्ट्रिक आरा मशीन से करवाया, जिसकी वजह से आज दिनांक तक कॉपिस (नई शाखा) नहीं आई है। जब कॉपिस नहीं आयेगा तब वनों का विकास कैसे होगा भविष्य में उत्पादन शून्य रहेगा। जिसकी जांच करवाई जाना चाहिए हैं।
* इनके कार्यकाल में लटेरी शमशाबाद, ग्यारसपुर, बसौदा आदि में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ। सागौन कटवाकर ट्रेक्टर भरवाकर बेचे गये है।
* रेन्जर गोविन्द सिंह कुशवाह के द्वारा इरशाद और लईक जैसे विशेष कृपा पात्र व्यक्तियों के द्वारा शहरखेड़ा में अतिक्रमण किया गया है।
* परियोजना शमशाबाद में वनरक्षक नीलेश गौर और जया यादव के द्वारा कोई भी वृक्षारोपण कार्य 100 प्रतिशत नहीं करवाया गया है। मात्र सामने ही 2000 पौधे दिखावट के लिये लगवा दिये गये है।बाकी राशि का उपयोग उदर पोषण में किया गया है।