मध्य प्रदेश में किसान के खेत में उग रहे हैं नीले आलू, जानिए कैसे कर रहा है यह खेती


स्टोरी हाइलाइट्स

किसान मिश्री लाल राजपूत अपने खेत पर हमेशा नए नए प्रयोग करते रहते हैं पूर्व में भी किसान मिश्रीलाल राजपूत कृषि विभूषण पुरस्कार मध्य प्रदेश से सम्मानित किए जा चुके हैं

एक बार फिर भोपाल के किसान मिश्रीलाल राजपूत ने नीलकंठ नामक नीला आलू का उत्पादन कर कमाल किया है। नीलकंड आलू स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट नामक तत्व पाया जाता है  किसान मिश्री लाल राजपूत अपने खेत पर हमेशा नए नए प्रयोग करते रहते हैं ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में एक किसान नीले आलू, बैंगनी गोभी, रंगीन शिमला मिर्च, लाल भिंडी और अमरूद की खेती कर रहा है. बता दें कि पारंपरिक रंग से अलग और खूबसूरत दिखने वाली ये सब्जियां बाजार में ऊंचे दाम पर बिक रही हैं। खबर के मुताबिक भोपाल के खजूरीकलां के प्रायोगिक किसान मिश्रीलाल राजपूत रंग-बिरंगी सब्जियां उगाने के लिए यूपी के बनारस स्थित सब्जी अनुसंधान संस्थान से दिसंबर 2020 में लाल भिंडी के बीज लाए थे.

प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने इसी विशेष बीज से अधिक बीज बनाये। बता दें कि किसान मिश्रीलाल राजपूत ने अपने खेत में लाल भिंडी उगाई है। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य भिंडी से 5-7 गुना ज्यादा महंगी होती है। उनका कहना है कि मॉल में रु. 75-80 से रु. 300-400 प्रति 250 ग्राम / 500 ग्राम पर बेचा जाता है। शोध संस्थान के अनुसार इस किस्म की लाल भिंडी में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इन रंग-बिरंगी सब्जियों की खेती और उपयोग के लिए उन्हें मध्य प्रदेश कृषि भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

भारत में ज्यादातर सफेद या पीले रंग के छिलके वाले आलू पसंद किए जाते हैं, हालाँकि पूर्वी भारत में लाल छिलके वाले आलू की मांग रही है और अब इसे उत्तर-पश्चिमी एवं पश्चिम-मध्य मैदानी इलाकों में भी पसंद किया जा रहा है। भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने तुलनात्मक रूप से उच्च ऑक्सीकरण रोधी के साथ पहली बार बैंगनी रंग का स्वदेशी आलू की किस्म कुफरी नीलकंठ को विकसित और जारी किया है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी इलाकों, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और इसी तरह के कृषि पारिस्थितिकी राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। कुफरी नीलकंठ में कुफरी ललित, कुफरी लालिमा और कुफरी सिंधुरी नाम की प्रचलित किस्में हैं। यह किस्म उर्वरक के अनुकूल है और कृषिशास्त्रीय प्रथाओं के तहत 35-38 टन/हैक्टेयर उपज देने में सक्षम है।

आलू को अक्सर कार्बोहाइड्रेट युक्त जंक फूड के रूप में गलत माना जाता है, इसलिए ऑक्सीकरण रोधी के साथ जैव-सुदृढ़ीकरण द्वारा आलू को समृद्ध करना जरूरी है क्योंकि इस मामले में निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के बीच इसका पोषण महत्त्व और लोकप्रियता स्थापित होगी।

‘लोगों के बीच गलतफहमी को दूर करने के साथ-साथ आलू भोजन के पौष्टिक स्रोत की भूमिका निभा सकता है और जीवन का आहार बन सकता है’