मध्य प्रदेश कांग्रेस से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। कांग्रेस अनुशासन समिति ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सहमति से यह फैसला लिया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह को छह साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने हाल ही में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह कार्रवाई की है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख मुकेश नाइक ने बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लक्ष्मण सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। नाइक ने कहा कि यह संदेश है कि अनुशासन सबके लिए है।
लक्ष्मण सिंह ने कई बार ऐसे बयान दिए थे, जिससे पार्टी की किरकिरी हुई थी। आखिरी बयान यह था कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। यह बयान बर्दाश्त नहीं किया गया और उन्हें निष्कासित कर दिया गया है।
नाइक ने कहा कि कांग्रेस भाजपा जैसी नहीं है। ऐसे बयानों के बाद भी मंत्री विजय शाह जहां के तहां बैठे हैं। भाजपा लक्ष्मण सिंह को उसी पार्टी में रखेगी, जिसमें सुरेश पचौरी हैं। कांग्रेस में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोई भी हो, अगर कोई अनुशासनहीनता करता है तो उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
24 अप्रैल को लक्ष्मण सिंह ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर आतंकियों से गठबंधन करने का आरोप लगाया था।
लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा ने कहा था कि मुसलमानों को सड़क पर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है, इसलिए आतंकियों ने हमला किया। इन दोनों की यह बचकानी हरकतें हम कब तक बर्दाश्त करेंगे?
लक्ष्मण सिंह ने कहा, राहुल गांधी को भी थोड़ा सोच-समझकर बोलना चाहिए। उनकी मूर्खता के कारण ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी मुझे निकालना चाहती है तो आज ही निकाल दे। हमारे नेताओं को सोच-समझकर बोलना चाहिए, नहीं तो चुनाव में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेस पार्टी ने उनके बयान को गंभीरता से लेते हुए 9 मई को लक्ष्मण सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा। हालांकि, पार्टी ने प्राप्त जवाब को असंतोषजनक माना और उसके आधार पर उनके निलंबन की सिफारिश की।