CM का बड़ा एक्शन, हटाए गए दतिया SP और IG, नए एयरपोर्ट के लोकार्पण समारोह में हुई थी नोकझोंक


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स्टोरी हाइलाइट्स

दतिया एयरपोर्ट लोकार्पण समारोह में भीड़ प्रबंधन को लेकर आईजी सुशांत सक्सेना और एसपी वीरेंद्र मिश्रा के बीच तीखी नोकझोंक हो गई, घटना सार्वजनिक स्थल पर हुई, जिससे प्रशासन की छवि प्रभावित हुई, सीएम डॉ. मोहन यादव ने इस पर सख्त कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए..!!

दतिया में शनिवार को नए एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान सार्वजनिक स्थान पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच हुई नोकझोंक का मामला अब तूल पकड़ गया है। समारोह के दौरान चंबल रेंज के आईजी सुशांत सक्सेना और दतिया एसपी वीरेंद्र मिश्रा के बीच भीड़ नियंत्रण को लेकर कहासुनी हो गई। घटना सार्वजनिक स्थान पर हुई, जिससे प्रशासन की छवि धूमिल हुई। सीएम ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए रविवार शाम दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए। 

इस पर सीएम ने पोस्ट शेयर कर गहरी नाराजगी जताई। 

उन्होंने लिखा कि आईजी चंबल रेंज और दतिया एसपी का व्यवहार जनसेवा के लिए खेदजनक है। इसे ध्यान में रखते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने चंबल रेंज के डीआईजी और कटनी के पुलिस अधीक्षक को हटाने की बात भी कही।

आपको बता दें, कि शनिवार 31 मई को एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह के दौरान अचानक भीड़ काफी बढ़ गई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया। इसी बीच केंद्रीय मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू और पूर्व गृह मंत्री विमान को रवाना करने जा रहे थे। इसी बीच कुछ लोग सुरक्षा घेरा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे।

पुलिस बल ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन आईजी सुशांत सक्सेना भीड़ नियंत्रण से असंतुष्ट नजर आए। वे अपने ही स्टाफ पर भड़क गए।

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सूत्रों के मुताबिक सक्सेना ने एसपी मिश्रा से सख्त लहजे में कहा कि सतना में सिर्फ 16 लोग व्यवस्था संभाल रहे हैं, तो दतिया में इतनी फोर्स क्या कर रही है। इस मुद्दे पर दोनों अफसरों के बीच बहस शुरू हो गई, जो देखते ही देखते तीखी नोकझोंक में बदल गई। आईजी की तेज आवाज ने मौके पर मौजूद अन्य लोगों का भी ध्यान खींचा।

घटना का वीडियो और रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय और डीजीपी स्तर तक पहुंची, जिसके बाद पूरे मामले की एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अफसरों के व्यवहार को लोक सेवा की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कार्रवाई के निर्देश जारी किए। इस फैसले को प्रशासनिक सख्ती का संकेत माना जा रहा है।