भोपाल: राज्य शासन ने एक दर्जन आईएफएस अधिकारियों की नई पोस्टिंग के आदेश जारी किए हैं। जारी आदेश में धार में टेंडर गड़बड़ी करने वाले डीएफओ अशोक सोलंकी और बीजेपी सांसद बीडी शर्मा की शिकायत पर 2010 बैच की महिला आईएफएस अंजना सुचिता तिर्की को फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व से हटाकर मुख्यालय अटैच किया है।
धार वन मंडल में अपने चहेते फर्म को उपकृत करने की मंशा से डीएफओ अशोक सोलंकी ने नियमों कर दरकिनार कर टेंडर किए। इस गड़बड़ी को प्रमुखता से प्रकाशित किया। टेंडर में की गई गड़बड़ी को एसीएस ने गंभीरता से लिया और सोलंकी को धार से हटा कर डीसीएफ लघु वनोपज संघ मुख्यालय में पदस्थ कर दिया। यह बात अलग है कि टेंडर निरस्त नहीं किए गए। सूत्र बताते हैं कि जिस फर्म को वर्क आर्डर जारी किए गए उसके साथ सीएफ के रिश्ते बड़े नजदीकी है। सीएफ पर एसीएस का वरदहस्त प्राप्त है। धार डीएफओ के पद पर दक्षिण बैतूल में पदस्थ डीएफओ विजयनंथम टीआर को पदस्थ किया गया।
उल्लेखनीय है कि थार वन मंडल में सामग्री की सप्लायर के लिए हुए टेंडर में गड़बड़ी पर फील्ड से लेकर मुख्यालय में पदस्थ शीर्ष अधिकारी न केवल चुप हैं बल्कि तथ्यों पर लीपा-पोती करने में व्यस्त है। जबकि चूंकि कंप्यूटर पर आधारित गड़बड़ी हुई है तो किसी टेक्निकल एक्सपर्ट से जांच कराई जानी चाहिए। शिकायतकर्ता हेमंत भावसार ने मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव, एसीएस वन अशोक वर्णवाल के साथ मुख्यालय में सभी शीर्ष अधिकारियों को शिकायत और उससे संबंधित दस्तावेज और कंप्यूटर की स्क्रीनशाट तक भेजी है। शिकायत की गंभीरता को लेते हुए स्क ने एक बैठक में नाराजगी जताई और मुख्यालय की शीर्ष अधिकारियों से जांच करने के मौखिक निर्देश भी दिए।
सनद रहे कि धार के हितेंद्र भावसार ने शिकायती पत्र में कहा है कि वन मण्डल अधिकारी धार द्वारा 03 जुलाई को पांच नीविदाएं जेम पोर्टल पर प्रकाशित की गई थी। जोकि 4 जुलाई एवं 5 जुलाई को जेम पोर्टल पर पूर्ण भी कर दी गई। यह निविदा क्रय भंडार नियम का सीधा उल्लंघन तथा किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लगाई गई है। जबकि पूर्व में भी उक्त निविदा में मांगी गई सामग्री के लिए निविदा प्रकाशित की गई थी, जिसे समय पूर्ण होने पर बिना खोले बिना किसी कारण के रद्द कर दिया गया था। ऐसा एक बार नहीं, बल्कि तीन बार किया गया। नियम यह है कि निर्धारित समय से पहले निविदा निरस्थ की जाती है तो इसकी परमिशन वन मुख्यालय से लेना आवश्यक है।
* एक ही दिन में टेंडर, आवेदन और स्वीकृति!3 जुलाई को धार डीएफओ द्वारा एक ही दिन में 5 टेंडर निकाले गए। शाम 5:45 और 7:27 बजे टेंडर अपलोड किए गए और उसी दिन रात 8:11 और 9:28 पर एक विशेष फर्म द्वारा टेंडर भर दिए गए। इतना ही नहीं, उसी दिन उस फर्म को क्वालिफाई भी कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को नियम 10.1.2 और 10.1.3 के विपरीत बताया है, जिसमें टेंडर प्रकाशन के लिए पूर्व सूचना देना आवश्यक होता है।
* सत्यापन निधि कैसे बनी जब बैंक बंद थे?सप्लायर्स ने याचिका में यह भी सवाल उठाया है कि टेंडर के लिए आवश्यक सत्यंकार निधि का डीडी उसी दिन जमा किया गया, जबकि बैंक उस समय बंद थे। इससे यह संदेह पुख्ता होता है कि संबंधित फर्म को पहले से टेंडर की जानकारी दी गई थी।
* आईपी ऐड्रेस से हुई गड़बड़ी की पुष्टि की आशंकायाचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि निविदा जिन कंप्यूटरों से बनाई, बढ़ाई और खोली गई, उनकी आईपी ऐड्रेस और चाही गई फर्म के कंप्यूटर की आईपी ऐड्रेस एक समान होने की आशंका है। इससे एक ही सिस्टम से पूरी निविदा प्रक्रिया को प्रभावित करने की बात सामने आई है।
गणेश पाण्डेय