भोपाल: मप्र के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पानी की कमी को देखते हुये वहां फ्रूट फारेस्ट्री को बढ़ावा देने के प्रयास प्रारंभ किये गये हैं। सागर जिला पंचायत के सीईओ ने पीएम कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत इसकी पहल की है और शासकीय भूमि पर पायलजट प्रोजेक्ट के रुप में इसे शुरु किया गया है जिसके बाद इसे निजी भूमि प7र क्रियान्वित किया जायेगा।
भोपाल स्थित मंत्रालय में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की एक बैठक में इसका प्रस्तुतीकरण भी किया गया। इस पायलट प्रोजेक्ट में 40 स्व सहायत समहों को चिन्हित किया गया है।
क्या है फ्रूट फारेस्ट्री :
कम पानी वाले क्षेत्रों में फल वानिकी (फ्रूट फॉरेस्ट्री) एक उत्कृष्ट विकल्प है क्योंकि यह न केवल पानी की कम आवश्यकता वाले फलों के पेड़ प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पानी के संरक्षण और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी बनता है।
फल वानिकी में, कम पानी की आवश्यकता वाले पेड़ जैसे कि बेर, खजूर, अंजीर, जैतून, अनार, और आम के पेड़ लगाए जा सकते हैं जो सूखे क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं। जामुन, शहतूत, और नींबू जैसे फल भी कम पानी की आवश्यकता वाले होते हैं। इस तकनीक से पेड़ की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है और पानी को बेहतर ढंग से बनाए रखने में मदद मिलती है।