स्टोरी हाइलाइट्स
Sudama ki kahani-आज हम आपको बताने जा रहे हैं शास्त्रों के एक अद्भुत सत्य के बारे में जिसके पर में शायद आप विश्वास ना करें किंतु यह बात एकदम सत्य है।
Sudama ki kahani-सुदामा की मृत्यु कैसे हुई? क्या शिव ने किया था वध?
आज हम आपको बताने जा रहे हैं शास्त्रों के एक अद्भुत सत्य के बारे में जिसके पर में शायद आप विश्वास ना करें किंतु यह बात एकदम सत्य है। जिसका उल्लेख हमें आज भी शास्त्रों में मिलता है कि कृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा का वध भगवान शिव ने ही किया था। आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे कि भगवान शिव ने सुदामा का वध क्यों और कैसे किया था।
सुदामा का पुनर्जन्म रहस्य:
सुदामा की मृत्यु के पश्चात जब सुदामा को स्वर्ग लोक में रहने का स्थान प्राप्त हुआ था तब स्वर्ग लोक में सुदामा और विराजा दोनों निवास करते थे। सुदामा विराजा से अद्भुत प्रेम करते थे किंतु यह विराजा भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करती थी जब श्री कृष्ण और विराजा अपने प्रेम में लीन थे। तो उस समय राधा जी वहां पर प्रकट हो गई थी तथा उन्होंने विराजा को ऐसा देख कर के पृथ्वी लोक पर निवास करने का श्राप दे दिया था।उसी प्रकार किसी कारणवश राधा ने सुदामा को भी श्राप देकर के प्रथ्वीलोक पर भेज दिया था।
सुदामा और विराजा का पुनर्जन्म:
जब सुदामा और विराजा को श्राप के कारण पृथ्वी पर आना पड़ा तो सुदामा का जन्म एक शंखचूर्ण नामक राक्षस के रूप में हुआ। तथा विराजा का जन्म तुलसी के रूप में हुआ था इन दोनों का विवाह भी हो गया था। किंतु शंखचूर्ण को भगवान ब्रह्मा का वरदान प्राप्त था। अर्थात भगवान ब्रह्मा ने शंखचूर्ण को एक कवच दिया था और साथ यह भी कहा था। कि जब तक तुलसी तुम पर विश्वास करेंगी तब तक तुम्हें कोई जीत नहीं पाएगा इसी वजह से शंखचूर्ण कई युद्धों को जीता तथा तीनों लोगों का स्वामी बन गया।
शंखचूर्ण का अत्याचार:
शंखचूर्ण के अत्याचार से तीनों लोको के प्राणी परेशान हो चुके थे यहां तक कि देवता लोग भी शंखचूर्ण परेशान थे। तब भगवान शिव ने सभी देवताओं की विनम्र प्रार्थना पर शंखचूर्ण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए शंखचूर्ण का वध करने का वचन दिया। जब भगवान शिव ने शंखचूर्ण को विनम्रतापूर्वक समझाया तो शंखचूर्ण भगवान शिव से युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो गया। उसी प्रकार से शंखचूर्ण के इस घमंड ने शंखचूर्ण क वध के लिए भगवान शिव को विवश होना पड़ा।
इसी प्रकार से भगवान शिव ने कृष्ण के मित्र सुदामा अर्थार्थ शंखचूर्ण का वध किया था जिसकी जानकारी हमें पौराणिक ग्रंथों में आज भी देखने को मिलती है। जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।
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