भारत का अमेरिका पर पलटवार, अमेरिकी आयात पर लगाए जाएंगे जवाबी टैरिफ


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स्टोरी हाइलाइट्स

भारत ने WTO यानी विश्व व्यापार संगठन को बताया है कि वह अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने जा रहा है। यह कदम अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में उठाया जा रहा है..!!

भारत ने WTO यानी विश्व व्यापार संगठन को एक बड़ी जानकारी दी है। इस जानकारी की मानें तो भारत सरकार अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने जा रही है। इसे अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए टैरिफ पर भारत की ओर से जवाबी टैरिफ कहा जा रहा है।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है। वहीं, स्टील और एल्युमीनियम उत्पादन के मामले में यह दुनिया में तीसरे नंबर पर है। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकते हैं।

WTO की अधिसूचना के अनुसार, "अमेरिका के इस कदम से भारत से अमेरिका को होने वाले 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ेगा और अमेरिकी सरकार को इससे 1.91 अरब डॉलर की कमाई होगी। अमेरिका में बनने वाले उत्पादों पर भी भारत सरकार यही शुल्क लगाएगी। भारत अगली उचित कार्रवाई के बारे में परिषद और वस्तु व्यापार समिति दोनों को सूचित करेगा।" 

भारत ने डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुच्छेद 12.5 के तहत यह अधिसूचना दी है। इस अनुच्छेद में किसी देश को दूसरे देश के खिलाफ बिना बातचीत के जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है। भारत जवाबी शुल्क क्यों लगाने जा रहा है? ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस विवाद के केंद्र में 2018 में स्टील, एल्युमीनियम और इनके उत्पादों पर लगाया गया 'सेफगार्ड टैरिफ' है। तब ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इसे लागू किया था। इसे कई बार रिन्यू भी किया गया। इसे अंतिम बार 10 फरवरी 2025 को नवीनीकृत किया गया था, जिसकी प्रभावी तिथि 12 मार्च 2025 है।

भारत का तर्क है कि अमेरिका ने सुरक्षा मानदंडों के तहत इस निर्णय को कभी आधिकारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर इसकी घोषणा की। यह WTO नियमों का उल्लंघन है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका ने इस निर्णय को लागू करने से पहले अनुच्छेद 12.3 के तहत भारत के साथ आवश्यक परामर्श भी नहीं किया।

भारत अमेरिका से आयात पर भी उसी सीमा तक टैरिफ बढ़ाएगा, जिस सीमा तक अमेरिका के निर्णय से भारत के निर्यात प्रभावित होंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि इन अमेरिकी टैरिफ से भारत के लगभग 7.6 बिलियन डॉलर के निर्यात प्रभावित होंगे और अमेरिकी प्रशासन को 1.91 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त आयात शुल्क मिलेगा। भारत अमेरिका के आयात की समान राशि पर जवाबी टैरिफ लगाएगा।

श्रीवास्तव ने कहा कि यदि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कोई बातचीत नहीं होती है या अमेरिका इस निर्णय को वापस नहीं लेता है, तो भारत का जवाबी टैरिफ अधिसूचना की तिथि के 30 दिन बाद प्रभावी होगा। वह तारीख 8 जून 2025 होगी।

भारत इस नियम के तहत कार्रवाई कर चुका है। जून 2019 में भारत ने 28 अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। इनमें बादाम से लेकर सेब और केमिकल शामिल थे। अमेरिका ने भारत को सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) सूची से हटा दिया और स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ जारी रखने की घोषणा की। भारत ने इसके जवाब में यह कदम उठाया।

भारत के जवाबी टैरिफ के कारण अमेरिका से करीब 240 मिलियन डॉलर के आयात प्रभावित हुए। सितंबर 2023 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन गए और दोनों देश डब्ल्यूटीओ में 6 विवादों को खत्म करने पर सहमत हुए, तब भारत ने बढ़ा हुआ टैरिफ वापस ले लिया।

अजय श्रीवास्तव के अनुसार, “भारत का यह कदम ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत चल रही है। यह जवाबी कार्रवाई उस वार्ता को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, भारत का कदम डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुसार है, जबकि अमेरिका का कदम एकतरफा था। भारत का यह कदम राजनीतिक रूप से संवेदनशील और रोजगार के क्षेत्रों जैसे स्टील और एल्युमीनियम पर भारत के सख्त रुख को भी दर्शाता है। यह मेक इन इंडिया रणनीति के अनुरूप भी है।”

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वाशिंगटन की जवाबी कार्रवाई क्या होती है। अगर अमेरिका बातचीत करने या अपने फैसले को वापस लेने के लिए सहमत होता है, तो दोनों देश किसी समाधान पर पहुंच सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो जून की शुरुआत में भारत के जवाबी टैरिफ लागू हो जाएंगे। 

इससे न केवल अमेरिकी निर्यात प्रभावित होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव भी बढ़ सकता है। श्रीवास्तव के अनुसार, “जो भी हो, भारत का यह कदम दिखाता है कि वह वैश्विक व्यापार नियमों के दायरे में रहते हुए अपने आर्थिक हितों की रक्षा कर सकता है।”