भोपाल: हम सब जानते हैं कि जल ही जीवन है, परंतु भारतीय परंपरा में जल केवल जीवन का भौतिक आधार नहीं है, वह श्रद्धा है, शक्ति है, संस्कृति है। वैदिक ऋषियों ने सरस्वती की स्तुति की, पवित्र तीर्थों ने नदियों के तट पर जन्म लिया और हमारे पर्व-त्योहार जल के स्पर्श से पावन हुए।
यह समागम उसी परंपरा का पुनर्जागरण है, एक आह्वान है कि हम फिर से अपने जल को, अपनी नदियों कोऔर अपनी जल-संवेदना को पुनर्जीवित करें। यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत सदानीरा समागम के शुभारंभ अवसर पर कही।
भारत भवन में आयोजित इस समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीर भारत न्यास, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् एवं मध्यप्रदेश जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों सदानीरा, पृथ्वी पानी का देश है..., अमृत जलधारा (चार खंड) व जल धरा का विमोचन किया। इसके पहले ऋषिकेश पांडे द्वारा निर्देशित लघु फिल्म सदानीरा का लोकार्पण किया गया।
समागम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सदानीरा सांस्कृतिक समागम के अवसर पर, जब हम सब एकत्र हुए हैं, तो यह केवल एक आयोजन नहीं, एक आंतरिक जागरण है। जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत पूरे देश में भारत सरकार के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का खंडवा पहले स्थान पर है। इसका हमें गर्व है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। माँ नर्मदा का हमें आशीर्वाद प्राप्त है। माँ नर्मदा मतलब दुनिया की सबसे प्राचीनतम नदियों में से एक। नर्मदा, क्षिप्रा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन के साथ-साथ मध्यप्रदेश में लगभग 1000 से अधिक नदियाँ है। 50 कि.मी. से अधिक लंबाई वाली लगभग 260 नदियाँ है वहीं 10 कि.मी. या उसके आस-पास की लंबाई वाली लगभग 750 नदियाँ है। इस प्रकार ये सभी छोटी-बड़ी नदियाँ मध्य प्रदेश को समृद्धि का आशीर्वाद देती रहती है। इसके अलावा लाखों जल संरचनाएँ भी मध्य प्रदेश की शक्ति है।
इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि सदानीरा समागम देश का अकेला ऐसा परिकल्पित समारोह है जो नदियों, जलस्रोतों, जल संरचनाओं को संवर्धित एवं संरक्षित करने विविध गतिविधियों पर केन्द्रित है। देश में ऐसा पहली ही बार हो रहा है कि साहित्य, कला व विज्ञान सहित अनेक माध्यमों के लगभग 200 से अधिक वैज्ञानिक, पुरातत्वविद, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, सिने अभिनेता व नाट्य कलाकार सहभागी हो रहे हैं। यह समागम मुख्यमंत्री की उस दूरदृष्टिपूर्ण मंशा का मूर्त रूप है, जिसके अंतर्गत नदियों और जल स्रोतों को केवल संसाधन नहीं, संस्कार और सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखने की पहल की है।
अंत में मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार एवं वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, भोपाल विधायक भगवानदास सबनानी, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी, मध्यप्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।