भोपाल: जंगल महकमे में सम्पन्न रीजनल वर्कशॉप विवादित की सुर्खियों में है। चर्चा इसलिए भी हो रही है कि पहली बार वर्कशॉप का आयोजन 5 सितारा होटल में किया गया। यही नहीं पात्रता से कई गुना सुइट्स रूम्स में आला अफसरों को रुकवाया गया। इसका भुगतान अनऑफिशियल किया गया।
यही नहीं, वर्कशॉप में डांस-गाने और मदिरापन का दौर चला। वर्कशॉप आयोजन करने वाले रीजनल अधिकारियों ने अपने आला अधिकारियों को खुश करने के लिए बेशकीमती उपहार भेंट किए हैं। इसी मुद्दे को लेकर एक रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी आज़ाद सिंह डबास का दावा है कि वर्कशॉप पर करीब 2 से 3 करोड रुपए खर्च हुए हैं।
डबास ने इसकी वसूली वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव से करने के लिए मुख्य मंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है। वर्कशॉप को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव की सेवानिवृत्ति जुलाई में है और उनके सबसे खास पीसीसीएफ विकास एवं समन्वय सुदीप सिंह 30 जून को रिटायर्ड हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि असीम श्रीवास्तव दिनांक 1 फरवरी 24 से वन बल प्रमुख के पद पर कार्यरत हैं। श्रीवास्तव द्वारा 1 मई 25 को नर्मदापुरम एवं बैतूल वृत्त के लिए पचमढी में, 23-24 मई को भोपाल, उज्जैन वृत्त, खण्डवा एवं इन्दौर वृत्त की वर्कशॉप इन्दौर के होटल मैरियट में हुई। 4 जून को जबलपुर, बालाघाट, सिवनी एवं छिन्दवाड़ा वृत्त के लिए जबलपुर में क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित करवाई गई है।
इसी प्रकार 30 मई को ग्वालियर, शिवपुरी एवं छतरपुर वृत्त के लिए ओरछा के राजविलास होटल और 6 जून को रीवा, शहडोल एवं सागर वृत्त के लिए बाधंवगढ़ में क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित करवाई गई हैं। इन सभी कार्यशालाओं में संबधित वृत्तो के समस्त वनमण्डलाधिकारी, वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक के अतिरिक्त मुख्यालय के अनेक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रबंध संचालक एवं वन बल प्रमुख उपस्थित रहे हैं।
इन कार्यशालाओं में उपस्थित हुए वन अधिकारियों और उनके पत्नी और बच्चों को इन्दौर में मेरियट, ओरछा में राजविलास पैलेस, बांधवगढ में डेन टाइगर रिसोर्ट, पचमढी एवं जबलपुर के मंहगे होटलों में रूकवाया गया है। सीएम डॉ यादव को लिखे पत्र में डबास ने लिखा कि इन कार्यशालाओं के आयोजन में इतने सारे अधिकारियों की उपस्थिति के कारण शासन पर कम से कम 2 से 3 करोड का व्यय होने की संभावना है। शासकीय व्यय के अतिरिक्त अधिकारियों के खाने-पीने एवं मदिरापान में भी भारी खर्च हुआ है जिसका भार स्थानीय अमले द्वारा उठाया गया है। इन कार्यशालाओं के आयोजनो से सरेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है।
क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन क्यों..
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में खेती कार्यशाला के आयोजन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जब विभाग के पास विडियो कान्फ्रेसिंग की अति-आधुनिक सुविधा है तो इन क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन क्यों किया गया ? विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से अगर मैदानी अधिकारियों से संवाद स्थापित किया जाता तो इससे न सिर्फ शासकीय राशि का अपव्यय रोका जा सकता था अपितु बेशकीमती समय की भी बचत हो सकती थी।
यहां यह प्रश्न भी पैदा होता है कि अगर वन बल प्रमुख को क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन कराना ही था तो इनका आयोजन अपना प्रभार ग्रहण के तत्काल बाद के महीनो में कराना था ताकि उनके निर्देशों का प्रभावी कियान्वयन संभव होता और विभाग को इसका कुछ फायदा भी होता। अपनी सेवानिवृति (31 जुलाई 25) के 2 माह से भी कम समय है। ऐसे में इनका आयोजन कराना समझ से परे है। ऐसा लगता है कि इन कार्यशालाओं की आड़ में वे मैदानी अधिकारियों से अपने विदाई समारोहों का आयोजन करा रहे हैं इनका वनों के सरंक्षण एवं संर्वधन से कोई लेना-देना नही है। स्पष्ट है कि इनका आयोजन वनों के हित में न होकर मात्र सैर-सपाटा ही लगता है।