भोपाल: प्रदेश की नई विमानन नीति के अनुसार, अब 28 जिलों में नई हवाई पट्टियां बनेंगी और वर्तमान में जिन 11 जिलों में हवाई पट्टियां हैं, उनका विस्तार होगा जिससे इसमें जेट विमान भी उतर सकें। इसके लिये राज्य के विमानन विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों को उपयुक्त स्थालों के प्रस्ताव एक माह के अंदर भेजने के निर्देश जारी किये हैं।
वर्तमान हवाई पट्टियों वाले 11 जिलों यथा सागर, रतलाम, बालाघाट, गुना, खरगौन, मंदसौर, सिवनी, सीधी, पन्ना, झाबुआ एवं उमरिया के लिये कलेक्टरों को पत्र भेजकर कहा गया है कि राज्य में औद्योगिक, पर्यटन, मेडीकल एवं सेवा क्षेत्रों के विकास के लिए विमानन सुविधाओं का विकास आवश्यक है। इन जिलों में स्थित हवाई पट्टी की लम्बाई चौड़ाई एवं अन्य अधोसंरचना निर्धारित मापदण्ड अनुसार निर्मित नहीं है।
भविष्य की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये विमानों की सुगम एवं सुरक्षित लैण्डिंग हेतु आवश्यक भूमि, रनवे, रनवे के दोनों छोर पर ओवर रन एण्ड रेसा (रनवे की शुरुआत एवं अंत में अतिरिक्त जगह छोडऩा) तथा अन्य अधोसंरचना हेतु आदर्श हवाई पट्टी मापदण्ड अनुसार (दो हजार मीटर) निर्मित होना चाहिये
इसलिये वर्तमान में हवाई पट्टी के विकास/विस्तार हेतु मापण्डों के अनुसार भूमि चिन्हित कर विस्तृत कार्य योजना/प्राक्कलन इस विभाग को एक माह के अंदर भेजने का कष्ट करें। उचित स्थान चिहिन्त करते समय समस्त बाधा-रहित अधिक से अधिक शासकीय भूमि उपलब्ध हो, ऐसे साईट को प्राथमिकता दी जाये।
इसी प्रकार, जिन 28 जिलों यथा अनुपपुर, मुरैना, बुरहानपुर, टीकमगढ़, कटनी, देवास, सीहोर, अलीराजपुर, आगर मालवा, अशोकनगर, बैतूल, भिण्ड, छतरपुर, धार, डिण्डोरी, हरदा, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, निवाड़ी, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर, श्योपुर, विदिशा, मैहर, मउगंज, बड़वानी तथा पाण्ढुर्ना में हवाई पट्टियां नहीं हैं, उनके कलेक्टरों से कहा गया है कि जिले में कोई भी हवाई पट्टी निर्मित नहीं है।
इसलिये भविष्य की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये वहां की आवश्यकता, उपयोगिता एवं व्यवहारिकता आदि का परीक्षण कर प्रदेश स्थित प्रत्येक जिले (100 किमी के दायरे में) कम से कम एक हवाई पट्टी निर्मित किये जाने की कार्यवाही की जाये। आदर्श हवाई पट्टी मापदण्ड अनुसार निर्मित होना चाहिये और मापण्डों के अनुरूप उचित स्थान चिन्हित कर विस्तृत कार्य योजना/प्राक्कलन इस विमानन विभाग को एक माह के अंदर भेजें। उचित स्थान चिहिन्त करते समय समस्त बाधा-रहित अधिक से अधिक शासकीय भूमि उपलब्ध हो, ऐसी साइट को प्राथमिकता दी जाये.