भोपाल: प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गत 29 अक्टूबर 2024 से 31 अक्टूबर 2024 तक कुल दस हाथियों की कोदो कुटकी की फंगसयुक्त फसल खाने से हुई मृत्यु की घटना पर एनजीटी द्वारा दिये आदेश के पालन में राज्य के वन विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जिससे भविष्य में और हाथियों की मौतें रोकी जा सकें।
इस समिति के अध्यक्ष एपीसीसीएफ वन्यप्राणी भोपाल एल कृष्णमूर्ति बनाये गये हैं जबकि सदस्यों में क्षेत्रीय सीसीएफ शहडोल/रीवा/जबलपुर, फील्ड डायरेक्टर संजय एवं कान्हा टाइगर रिजर्व, जबलपुर के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डा. एबी श्रीवास्तव, विषय विशेषज्ञ भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के प्रतिनिधि, कृषि विशेषज्ञ जवाहरलाल नेहरु कृषि विवि जबलपुर के प्रतिनिधि, अंराष्ट्रीय शुष्क भूमि उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्था हैदराबाद के माइकोलाजिस्ट हरिकिशन सुदीनी, केंद्रीय परियोजना हाथी निगरानी समिति के सदस्य रिटायर्ड सीसीएफ केके बिसेन एवं फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नियुक्त किये गये हैं।
यह विशेषज्ञ समिति चार बिन्दुओं पर कार्य करेगी :
एक, मानव-हाथी द्वन्द रोकने एसओपी बनायेगी जोकि लघुकालिक एवं दीर्घकालिक दोनों रुपों में होगी।
दो, हाथियों के आवास और उनके कॉरीडोर के आसपास के सभी कृषि क्षेत्रों का सर्वे कर विषयुक्त फसल को लगाने के प्रति हतोत्साहित करेगी।
तीन, वन्यप्राणी क्षेत्रों में कृषि उपज के भण्डारण के व्यापक निर्देश जारी करेगी।
चार, फसलों की खेती से वन्यजीवों विशेषकर हाथियों पर पडऩे वाले प्रभावों की निगरानी करेगी।
उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अक्टूबर 2024 में जो दस हाथी मरे थे उनकी जांच रिपोर्ट में पाया गया था कि हाथी जुगाली नहीं करते हैं और उनका पाचन तंत्र बहुत कुशल नहीं होता है। फंगस वाली कोदो कुटकी का असर अन्य मवेशियों पर उतना नहीं होता है जितना हाथियों पर होता है।