परमाणु शक्ति के जनक महर्षि कणाद(Maharshi kanad) -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

महर्षि कणाद(Maharshi kanad) का भारत की ऋषि परम्परा में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसा माना जाता है और शास्त्रों में इसके प्रमाण भी हैं ,-Maharshi kanad

परमाणु शक्ति के जनक महर्षि कणाद-Maharshi kanad..दिनेश मालवीय -दिनेश मालवीय महर्षि कणाद(Maharshi kanad) का भारत की ऋषि परम्परा में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसा माना जाता है और शास्त्रों में इसके प्रमाण भी हैं कि कण तत्व का सूक्ष्म विचार इन्होंने ही दिया, इसीलिए इन्हें “कणाद” कहा जाता है. उनका जन्म गुजरात में द्वारका के पास हुआ था. वह एक महान संत उल्का के पुत्र थे. उन्होंने भगवान शिव की तपस्या कर आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति को प्राप्त किया था. बचपन में उनका नाम कश्यप था. उन्हें बचपन से ही हर चीज को गहराई से जाने की बहुत लगन थी. कहा जाता है कि काशी में इनके द्वारा स्थापित और आराधित शिवलिंग अभी तक विद्यमान है. उन्हें भगवान् शिव ने साक्षात दर्शन दिए थे. आधुनिक समय में अनुविज्ञानी जॉन डाल्टन से हज़ारों वर्ष पहले कणाद ने यह रहस्य उजाकर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं. उनके अनुसार भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण परमाणुओं के संघनन से होती है. इसके अलावा महर्षि कणाद ने गति के तीन नियम भी बताये थे. उनके अनुसार, परमाणु सूक्ष्म वस्तुएँ हैं, जो अविनाशी हैं. उन्होंने विज्ञान सिखाने के लिए ‘वैशेषिक विद्यालय’ की स्थापना की थी. उन्होंने ‘वैशेषिक दर्शन’नामक ग्रंथ भी लिखा. यह भारत के षट्दर्शन में एक है. वैशेषिक दर्शन में मुख्य रूप से प्रमेय-मीमांसा यानी भौतिक पदार्थों का विश्लेषण है. न्याय और वैशेषिक दर्शन मुख्यरूप से इस विचारधारा पर आधारित हैं कि जिन चीजों का हमें अनुभव होता है, वे सत हैं. लिहाजा दृश्यमान जगत से परे जो गुत्थियाँ हैं, उन पर विचार केन्द्रित करने की अपेक्षा जो जगत दिखाई देता है उसकी सत्ता का विश्लेषण करना ही ठीक है. वैशेषिक दर्शन का लौकिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है. महर्षि कणाद(Maharshi kanad) के जीवन में विषय में जो जानकारी उपलब्ध है, उसके अनुसार वह अपने पास किसी वस्तु का संग्रह नहीं करते थे. किसानों द्वारा अपने खेतों से अन्न काट ले जाने के के बाद खेत में जो बचा रहता था, वह उसे बीन कर ले आते और अपने शरीर का निर्वाह करते थे. कणाद के अनुसार अनेक छोटे कणों के एकत्रित होने से वे एक पूरी वस्तु में परिवर्तित हो जाते हैं. वैज्ञानिक विषयों को समझने के लिए आध्यात्मिकता की ज़रुरत है. किसी नयी चीज के आविष्कार का उपयोग सिर्फ शुभ और रचनात्मक उदेश्य से किया जाना चाहिए. इससे लोगों को लाभ होना चाहिए. उनके अनुसार कड़े परिश्रम और निष्ठा से कुछ भी अर्जित किया जा सकता है. विज्ञान मुश्किल सबजेक्ट नहीं है. कणाद सिर्फ विज्ञान के विशषज्ञ नहीं थे. वह एक महान संत और विद्वान भी थे. उन्हें दिव्य शास्त्रों और कलाओं में भी महारत हासिल थी. Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.