बांधों से एनवायरमेंटल फ्लो की जानकारी मंगाई


Image Credit : twitter

स्टोरी हाइलाइट्स

एनजीटी ने मानसून के बाद 15 से 20 प्रतिशत इ-फ्लो बनाये रखने के आदेश जारी किये हुये हैं।..!!

भोपाल: एनजीटी मैटर पर सेंट्रल मॉनिटरिंग कमेटी की 18 वीं बैठक हुई। राज्य के जल संसाधन विभाग ने अपने सभी कमांड क्षेत्र के बांधों से एनवायरमेंटल फ्लो की जानकारी मंगाई है ताकि एनजीटी को अद्यतन स्थिति से अवगत कराया जा सके। उल्लेखनीय है कि इ-फ्लो से जलीय वनस्पति एवं जीवों की रक्षा होती है लेकिन जलभराव के बाद बांधों से पानी रोक दिया जाता है। इसलिये एनजीटी ने मानसून के बाद 15 से 20 प्रतिशत इ-फ्लो बनाये रखने के आदेश जारी किये हुये हैं।

ज्ञातव्य है कि इ-फ्लो के लिये ये नदियां चिन्हित की गई हैं: गोहद, बिछिया एवं टोंस रीवा, कटनी व सिमरार, कुंदा खरगौन, मलेनी रतलाम, मंदाकिनी सतना, नेवज शाजापुर, बेनगंगा सिवनी, सोन शहडोल, पार्वती व चौपन गुना, कन्हान छिंदवाड़ा, क्षिप्रा-चंबल-चामला उज्जैन, खान इंदौर, कलियासोत भोपाल, बेतवा रायसेन तथा ताप्ती बुरहानपुर। 

मुरैना के घडिय़ाल, डाल्फिन एवं अन्य जलीय वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु चंबल नदी में प्रत्येक सोमवार को 35 मिनट के लिये 5 हजार क्यूसेक पानी, कोटा बेराज के डाउन स्ट्रीम में माह जनवरी से मानसून प्रारंभ होने तक छोड़ा जाता है। 

शेष चिन्हित नदियों में इ-फ्लो बनाये रखना जल संसाधन विभाग ने संभव नहीं बताया है क्योंकि इन नदियों के बांध पूर्व से निर्मित हैं और इनमें इ-फ्लो का प्रावधान नहीं था। लेकिन बाद में बन रहे बांधों जिनमें नेवज मोहनपुरा, ताप्ती पारसडोह, ताप्ती नदी की सहायक नदी वर्धा, पोटफोड़ी निर्गुण, ताप्ती मेड़ा, ताप्ती घोघरी एवं पार्वती सुठालिया में इ-फ्लो कार प्रावधान किया हुआ है।