भोपाल: राज्य में खनिज, उद्योग और बड़े निर्माण प्रोजेक्टस को पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) देने में फर्जीवाडा प्रकाश में आया है। कारोबारियों के दबाव में सिया की मंजूरी के बिना ही 450 परियोजनाओं की ईसी (डीम्ड मंजूरी) जारी कर दी गई है। सेवानिवृत आईएफएस आज़ाद सिंह डबास ने केंद्रीय सचिव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
केंद्रीय सचिव पत्र ने उल्लेख किया कि 23 मई 2025 को ये समस्त मंजूरी तब दी गई जब मेंबर सेक्रेटरी श्रीमती उमा महेश्वरी 22 मई से मेडीकल छुट्टी पर चली गई। इनके स्थान पर प्रभारी बनाये गये (अस्थायी मेंबर सेकेटरी) श्रीमन शुक्ला, जो एप्को के कार्यकारी निदेशक भी हैं, ने 23 मई को प्रभार मिलने के एक दिन बाद ही पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी के अनुमोदन के आधार पर यह कार्रवाई की है। उन्होनें इसके लिए ईआईए नोटिफिकेशन 2006 के पैरा-8 की कंडिका 3 का हवाला दिया है, जो नियमानुसार सही नही है। इन 450 मामलो में से 200 से ज्यादा प्रकरण खनिज विभाग से जुड़े हैं।
बिना बैठक बुलाए जारी कर दी स्वीकृति..
डबास ने पत्र में लिखा है कि 7 जनवरी 25 को केन्द्र सरकार ने सिया के चेयरमेन एवं सदस्यों की नियुक्ति की है। जनवरी 25 से मार्च 25 तक सिया की कोई बैठक नही हुई। अप्रैल में सिर्फ 2 बैठकें हुई। मई माह में 14 बैठकें शेड्यूल की गई, लेकिन सिर्फ 1 बैठक हो सकी है। 23 मई को बगैर कोई बैठक बुलाए ही 450 प्रकरणों की स्वीकृति जारी कर दी गई।
जैसा कि सर्वविदित ही है कि पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत 8 प्रकार के प्रोजेक्ट में मंजूरी लेना अनिवार्य है। 250 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के प्रोजेक्ट में ईसी जारी करने के अधिकार केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय और 250 हेक्टेयर से कम के प्रोजेक्ट में सिया के पास हैं।
सिया के चेयरमैन ने खोली पोल..
डबास का कहना है कि सिया के चेयरमेन शिव नारायण सिंह चौहान समस्त 450 प्रकरणों की स्वीकृतियों को गैर कानूनी बता रहे हैं। चौहान ने 26 मई 25 को इस पूरे घोटाले की विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय सचिव को भेजी है। इसमें उन्होनें नियमों के उल्लंघन एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
अपनी रिपोर्ट में चौहान ने लेख किया है कि उनके द्वारा 17 मार्च से 15 मई 25 के बीच बैठक बुलाने हेतु 10 बार मेंबर सेक्रेटरी को नोटशीट लिखी हैं। साथ ही मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव को इस सबंध में 22 पत्र भी लिखे हैं। इन पत्रों में उन्होनें मेंबर सेकेटरी की मनमानी और बैठक न बुलाने की शिकायत भी की है लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई।
चेयरमेन और सदस्य नहीं रखते पात्रता..
सचिव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को पत्र में डबास ने लिखा कि सिया में जो चेयरमेन और सदस्य बनाए जा रहे हैं, वे नियमानुसार पात्रता ही नहीं रखते हैं। राज्य सरकार अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुसार मनमाने तरीके से सिया में बनाए जाने वाले पदाधिकारियों के नाम केन्द्र सरकार को भेजती है, जो बगैर किसी स्कूटनी के स्वीकार कर लिये जाते हैं और नतीजा सबके सामने है। सिया की मंजूरी के बिना ही 450 परियोजनाओं की ईसी (डीम्ड मंजूरी) जारी करना प्रदेश में आईएएस अधिकारियों द्वारा की जा रही भर्राशाही का ज्वलंत उदाहरण है।